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एकता

                
                                                                                 
                            सैयाद ने ये कब सोचा था
                                                                                                

कबूतर जाल ले उड़ जाएंगे
दाना देकर तोड़ा जिनको
वो पीड़ा में यूं जुड़ जाएंगे

तुम एक दूजे का हाथ यूं ही
थामे रहना ओ साथी
की सभी रास्ते खुदबखुद
मंज़िल की और मुड़ जाएंगे।

- ममता पंडित

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3 वर्ष पहले

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