सैयाद ने ये कब सोचा था
कबूतर जाल ले उड़ जाएंगे
दाना देकर तोड़ा जिनको
वो पीड़ा में यूं जुड़ जाएंगे
तुम एक दूजे का हाथ यूं ही
थामे रहना ओ साथी
की सभी रास्ते खुदबखुद
मंज़िल की और मुड़ जाएंगे।
- ममता पंडित
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