कुछ लोगों को लगता है
हिन्दी भाषा नहीं है,
गुर्राता शेर है,
जो उन्हें खा जायेगा।
या फिर शावकों के साथ
विचरण करती शेरनी है,
जो उन पर जब तब झपट सकती है।
उन साँपों को गलतफहमी है
जो अंग्रेजी काअघोषित आरक्षण ले,
डरपोक तंत्र बना चुके हैं।
*महेश रौतेला
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8 months ago
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