जब अपनी ही खुद्दारियां बाक़ी नहीं रहीं
कैसे कहूं वो यारियां बाक़ी नहीं रहीं
दो रोज़ में ही आपके तेवर बदल गये
क्या प्यार की बीमारियां बाक़ी नहीं रहीं
लेने लगे हैं काम सब अब तो दिमाग़ से
जज़्बात की ऐयारियां बाक़ी नहीं रहीं
सूखा पड़ा हैं प्यार का दुनिया के खेत में
आब ए वफ़ा की क्यारियां बाक़ी नहीं रहीं
मिलते हैं वो आश्रम में ही आकर कभी कभी
बेटों की ज़िम्मेदारियां बाक़ी नहीं रहीं
भरने लगे हैं ज़ख़्म मेरे दिल के कुछ अभी
तीख़ी नज़र की आरियां बाक़ी नहीं रहीं
इश्क़ ए मजाज़ी में हुए बर्बाद हम मगर
माज़ी की अब वो ख़्वारियां बाक़ी नहीं रहीं
होगी न अपने दुश्मनों से दोस्ती मगर
नफ़रत की वो चिंगारियां बाक़ी नहीं रहीं
इक उम्र गुज़री है सियासत में मेरी मगर
अब दिल में वो मक्कारियां बाक़ी नहीं रहीं
'ख़ामोश' दिल की बात को अल्फ़ाज़ मिल गये
इज़हार की दुश्वारियां बाक़ी नहीं रहीं
-डॉ भागिया 'ख़ामोश'
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