खोटा सिक्का भी एक दिन बेधड़क चलेगा
वक़्त के साथ तेरा भी एक दिन वजूद बनेगा
खुदा से फरियाद कर हर बिगड़ा काम बनेगा
निकल राह पर वक़्त कम है रे मीत मेरे!
यक़ीनन तेरा भी एक स्वर्णिम दौर आएगा
बरसो से इस चेहरे पर पड़ा रुमाल सरकेगा
आज बेबस है कल सितारों की तरह चमकेगा
सुख गए है अश्रु खुशी का अब नीर निकलेगा
निकल राह पर वक़्त कम है रे मीत मेरे!
यक़ीनन तेरा भी एक स्वर्णिम दौर आएगा
लक्ष्य की ओर बाण से तीर निकलेगा
तेरा चेहरा भी एक दिन लाखों में सवरेंगा
वो महरूम खुदा भी तुझे जल्द परखेगा
निकल राह पर वक़्त कम है रे मीत मेरे!
यक़ीनन तेरा भी एक स्वर्णिम दौर आएगा
सुरज आज का आज सांझ ही ढलेगा
कल तेरे सजदे में नई किरण लाएगा
सबके दिलो पर बहुत जल्द छायेगा
निकल राह पर वक़्त कम है रे मीत मेरे!
यक़ीनन तेरा भी एक स्वर्णिम दौर आएगा
ऊंचे से ऊंचे पहाड़ का भी गुरूर टूटेगा
जलील करने वालो का भी सिर झुकेगा
बहुत जल्द खोया तेरा सम्मान पायेगा
निकल राह पर वक़्त कम है रे मीत मेरे!
यक़ीनन तेरा भी एक स्वर्णिम दौर आएगा
बरसो से लाचार पड़ा मुर्दा भी बोल उठेगा
सबका आया एक दिन तेरा भी वक़्त आएगा
'कुम्भज' भी तेरे इस संघर्ष की दास्तां लिखेगा
निकल राह पर वक़्त कम है रे मीत मेरे!
यक़ीनन तेरा भी एक स्वर्णिम दौर आएगा
- कुम्भज आशीष
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7 months ago
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