कुछ तो कमी मेरे सनम में होगी
बाक़ी बची बातें अब जहन्नुम में होगी
तुम मुझसे अब एबल जन्म में मिलना
अब तुमसे मोहब्बत अगले जनम में होगी
तेरे कड़वे लहजे को मीठा कर सके
इतनी मिठास तो शबनम में होगी
तन्हाई अब काटने को दौड़ती है
तेरी बातें अब सर-ए-बज़्म में होगी
मैं तुझे ज़िंदगी भर याद आऊँगा
इतनी शिद्दत तो मेरे ग़म में होगी
सर-ब-सर ख़ुशी तो तुझसे वाबस्ता थी
कोई बात नहीं ज़िंदगी बसर थोड़ी कम में होगी
मेरी हर बात में तेरा ज़िक्र है
तू मेरी हर एक नज़्म में होगी
तुम क्या “तू” और “मैं” कहते रहते हो
जो बात “हम” में है वो “हम” में होगी
कुछ तो कमी मेरे सनम में होगी
बाक़ी बची बातें अब जहन्नुम में होगी
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1 month ago
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