लगता है मेरा देश अब जाग गया है- कविता
इस बार के चुनाव में ये क्या से क्या हो गया है
परिवारवाद , जातिवाद , धर्मवाद कहा भाग गया है
अब तो राष्ट्रवाद की पीढ़ी विकास आ गया है
किसी सपने खिले तो किसी को टूटने का बुखार हो गया है
आपस में दलों का मन मैला हो गया है
कुछ खाली तो कुछ का थैला भर गया है
इन प्रजा के लहरों में हसीन सवेरा हो गया है
न जाने कितनो के चेहरों ख़ुशी का बसेरा हो गया है
लगता है मेरा देश अब जाग गया है
हर कोई अब यही कह रहा है
इस बार के चुनाव में क्या हो गया है
ज्यादा की उम्मीद थी कैसे कम हो गया है
जनता ने हमको ही वोट तो दिया है
मेरा देश भी अब जाग गया है।
लगता है ईवीएम में बड़ा झोल हो गया है
मेरे जात -धर्म के लोगो ने तो मुझे ही वोट दिया है
आवाम की आवाज़ सुनते नहीं कहते है ये क्या कैसे कमाल हो गया है,
वोटो की गिनती से पहले ही आपस में बवाल हो गया है
लगता है देश मेरा अब जाग गया है
गोविन्द 'अलीग'
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