अब यूँ भी हम घर नहीं जाने वाले
आ रहे हैं आज कुछ दोस्त पुराने वाले
अब जो खाली बैठा हूँ तो खाली न जान मुझे
एक वक्त पे थे हम समन्दर में आग लगाने वाले
तेरा शहर से जाना मेरी जान ले गया जानां
उस पर भी लोग आए हैं कमबख़्त दिल दुखाने वाले
इस शहर में बच्चे भूख से मरते हैं
इस शहर में रहते हैं कई लोग खजाने वाले
ग़ज़ल बस तेरी खातिर मैंने मय से दिल लगाया
वरना 'धीरज' हम तो आदमी थे शरीफ घराने वाले
- धीरज प्रकाश
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