धन दौलत से भी ऊंचा है मां, ज्ञान का स्थान,
जिस पर कृपा नहीं आपकी, वह है मूर्ख समान।
मोह-माया की दुनियां जहां, रहते सभी परेशान,
ज्ञान से ही मिलता है, हर समस्या का समाधान ।
अंधकार में डूबकर, भटक रहा इंसान,
ज्ञान की ज्योति जलाकर, दूर करो अंधकार।
बस एक तेरे पास ही रहता ज्ञान का खान,
दे दो ज्ञान मां उनको भी, जो नित्य करते हैं ध्यान।
मां भक्तों की वंदना का, तुम रख लेना मान,
दिल से करे जो अर्चना, उसे मिले वरदान।
भूल गया है स्वयं को, है खुद से ही अनजान,
इतनी कृपा हो आपकी, ले खुद को तो पहचान।
विपिन कुमार
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