सब के सब भ्रष्टाचारी
बन जाते हैं सत्ताधारी
जब भी आए संकट भारी
पिसती है जनता बेचारी
जनता बहाए खून पसीना
मौज उड़ाते खद्दरधारी
सब के सब भ्रष्टाचारी
बन जाते हैं सत्ताधारी
देश में कितनी भी हो लाचारी
इनकी राजनीति रहती जारी
इनकी नीयत में है बस कुर्सी
भाड़ में जाए जनता सारी
सब के सब भ्रष्टाचारी
बन जाते हैं सत्ताधारी
बातों में होती है खुद्दारी
पर होते हैं ये स्वयं हितकारी
जनता के आगे गिड़गिड़ाकर
बन जाते हैं जनता के प्रभारी
सब के सब भ्रष्टाचारी
बन जाते हैं सत्ताधारी
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