तुमसे बिछड़कर वादिया शमशान हो गयी ,
पूरा तो कहा भी नहीं था के शाम हो गयी ।
मुड़कर देखा भी नहीं तुमने एक बार ,
गंगा की तरह निर्मल साफ हो गयीं ।
न जाने क्यों ऐसी बात हो गयी ,
मैं लंका रह गया तुम अस्सी घाट हो गयी ।
@anubhavpratap7
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