सुरभित मधुमय बाग में,नेह नीड़ परिवार।
रहे चहकता रात दिन,आंगन ड्यौढ़ी द्वार।
आंगन ड्यौढ़ी द्वार,सदा आनंद मनायें।
सजें सुखों के साज,गीत मंगल के गांयें।
सुख दे सुख से रहें,शांति कुसुमों से कुसुमित।
अच्छे सच्चे काम,बाग को करदें सुरभित।
अच्युतमकेशवम एटा
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