बुद्धि पूर्वक परिश्रम, स्वयं सुप्रेरित तंत्र।
मौके पर चौका जड़ें, सदा सफलता मंत्र।
सदा सफलता मंत्र, लक्ष्य प्रति रहें समर्पित।
जोखिम से ना डरें, कोशिशें करें अपरिमित।
निज पर धर विश्वास, सुदृढ़ संकल्प पूर्वक।
चलें लक्ष्य की ओर, क्षिप्र गति बुद्धि पूर्वक।
हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।
आपकी रचनात्मकता को अमर उजाला काव्य देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें।