☆ होली के दिन ☆
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चली हैं
सखियाँ,
चले हैं टोली ।
मस्तानों की,
देख ये होली ।।
दिन
होली के,
नाचे-झूमें ।
बच्चे-बुढ़े,
मस्तानों से ।।
मस्ती में
ये,
कैसे देखें ।
अच्छे-बुरे,
सभी हैं सच्चे ।।
भूला ही दें
इन,
गम की बातों को ।
कहीं नहीं
बस,
सभी हैं अच्छे ।।
अच्छाई की
रंगत देखें,
अच्छा है ये
रंगीनी दुनिया ।
कभी न भूलें
याद रहे यह,
गये ही नहीं !
होली के दिन ।।
- घनश्याम जी.वैष्णव बैरागी
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