प्रख्यात कवि नंद किशोर आचार्य का जन्म 31 अगस्त 1945 को बीकानेर में हुआ था। इनकी कविताएं जीवन की गहराईयों तो व्यक्त करती हैं साथ ही वह पाठकों को प्रेरणा से भी भर देती हैं। उनकी कुछ प्रमुख कृतियाँ जल है जहां, शब्द भूले हुए, वह एक समुद्र था, आती है जैसे मृत्यु, कविता में नहीं है जो, रेत राग आदि हैं।
साधु ने भरथरी को
दिया वह फल—
अमर होने का
भरथरी ने रानी को
दे दिया
रानी ने प्रेमी को अपने
प्रेमी ने गणिका को
और गणिका ने लौटा दिया
फिर भरथरी को वह
— भरथरी को वैराग्य हो
आया
वह नहीं समझ पाया:
हर कोई चाहता है
अमर करना
प्रेम को अपने।
झूठा है वह सच
सपना नहीं जो होता—
सपने में ही जीना
सपने को चाहे सच होना है उसका
झूठ को जियो कितना ही
सच नहीं होता वह
जिऊँ चाहे सपने-सा
तुम्हें
सच तुम ही हो मेरा
जा चुका बालापन
यौवन की दहलीज पर है शरद
नहीं पूनो, चौदस की रात
हवा में हल्की-सी ख़ुनकी
प्यार का जग रहा
जैसे पहला एहसास।
वसन्त का दोष क्या इसमें
अब यदि गर्मियों ने जला दिया
सब जो खिला था
उसने तो खिला दिया
खिल पाया जितना भी
पतझर के बाद।
नहीं, रेगिस्तान बारिश के भरोसे नहीं
आसमाँ मेहरबाँ मुझ पर ज़रा होता-
मैं रेगिस्तान क्यों होता?
होगा अब जो होना होगा
कर्मगति जैसी हो
उसको ढोना होगा
ढो सके जब तक ढो
पर लहरों से अपनी
सपने बुनना मत खो
कभी मिले शायद
फिर वसन्त वो!
कभी देखता हूँ जैसा
वह लिखा
देखना चाहता हूँ जैसा
-वह भी कभी
दिखाना चाहते हैं कैसा
वे मुझको
वह भी लिखा
पर इस सबमें
कहीं नहीं मैं दिखा।
अब मैं कैसा दिखता हूँ
अपने को
वैसा लिखता हूँ
मेरे दिखने में दिखेगा
जो दिखता-देखता है मुझे
जिसमें मैं दिखता हूँ लेकिन
तुम वही दर्पण हो
इसलिए लिखना सभी मेरा
तुम्हें अर्पण हो
तुम्हारे ज़रिए जो भी दिखता है
मैं देख पाता हूँ
कविता में इसीलिए
कविता से देखी
दुनिया
बन जाता हूँ।
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हर कोई चाहता है...
3 years ago
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