अमर उजाला काव्य डेस्क, नई दिल्ली
कुछ दिन तो मलाल उस का हक़ था
बिछड़ा तो ख़याल उस का हक़ था
- किश्वर नाहीद
बोलते क्यूं नहीं मिरे हक़ में
आबले पड़ गए ज़बान में क्या
- जौन एलिया
मुझ को भी हक़ है ज़िंदगानी का
मैं भी किरदार हूं कहानी का
- ताहिर अज़ीम
ज़िंदा रहने का हक़ मिलेगा उसे
जिस में मरने का हौसला होगा
- सरफ़राज़ अबद
बात हक़ है तो फिर क़ुबूल करो
ये न देखो कि कौन कहता है
- दिवाकर राही
सारी गवाहियां तो मिरे हक़ में आ गईं
लेकिन मिरा बयान ही मेरे ख़िलाफ़ था
- नफ़स अम्बालवी
हमारे हक़ में दुआ करेगा
वो इक न इक दिन वफ़ा करेगा
- नासिर राव
मिरे हक़ में कोई ऐसी दुआ कर
मैं ज़िंदा रह सकूँ तुझ को भुला कर
- सीमान नवेद
हक़ वफ़ा के जो हम जताने लगे
आप कुछ कह के मुस्कुराने लगे
- अल्ताफ़ हुसैन हाली
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