शेरों-शायरी की दुनिया में प्रेम का उल्लेख शायरों ने बड़ी दिल्लगी और संजीदगी से किया है। इन शायरों ने प्रेम को एक गहरा एहसास माना है। पुराने वक्तों में शायरी को इंसान के दिल का आईना कहा जाता था, जिस भावना से देखोगे सूरत कुछ वैसी ही नजर आएगी।
शेरो-शायरी की दुनिया में माशूका के सौन्दर्य को खास महत्व दिया गया है। ग़ज़ल और शायरी, प्रेम में डूबे आशिक के लिए संजीवनी है। एक शायर कल्पना के अथाह सागर में गोते लगाकर शब्दों के मोती पिरोता है, फिर जो शेर वह रचता है, वह कालजयी बन जाता है।
आईना छोड़ के देखा किए सूरत मेरी
दिल-ए-मुज़्तर ने मिरे उन को सँवरने न दिया
-अज़ीज़ लखनवी
अब्र में चाँद गर न देखा हो
रुख़ पे ज़ुल्फ़ों को डाल कर देखो
-जोश लखनवी
इक रात चाँदनी मिरे बिस्तर पे आई थी
मैं ने तराश कर तिरा चेहरा बना दिया
- अहमद मुश्ताक़
तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है
तेरे आगे चाँद पुराना लगता है
- कैफ़ भोपाली
तू ने सूरत न दिखाई तो ये सूरत होगी
लोग देखेंगे तमाशा तिरे दीवाने का
- जलील मानिकपूरी
मैं अपने साज़ के नग्मों की नर्म लहरों में
तुम्हारे चेहरे की अफ़्सुर्दगी डुबोता हूँ
- नरेश कुमार ‘शाद’
आईने पर यक़ीन रखते हैं,
वो जो चेहरा हसीन रखते हैं
- दिनेश त्रिपाठी ‘शम्स’
अच्छी सूरत को संवरने की ज़रूरत क्या है,
सादगी में भी क़यामत की अदा होती है !
- अज्ञात
देखा नहीं वो चाँद सा चेहरा कई दिन से
तारीक नज़र आती है दुनिया कई दिन से
- जुनैद हज़ीं लारी
कुछ नज़र आता नहीं उस के तसव्वुर के सिवा
हसरत-ए-दीदार ने आँखों को अंधा कर दिया
- हैदर अली आतिश
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