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Hindi Poetry: विनोद कुमार शुक्ल की कविता 'अब कभी मिलना नहीं होगा ऐसा था और हम मिल गए'

vinod kumar shukla hindi poetry ab kabhi milna nahin hoga aisa tha aur hum mil gaye
                
                                                                                 
                            

अब कभी मिलना नहीं होगा ऐसा था


और हम मिल गए
दो बार ऎसा हुआ

पहले पन्द्रह बरस बाद मिले
फिर उसके आठ बरस बाद

जीवन इसी तरह का
जैसे स्थगित मृत्यु है
जो उसी तरह बिछुड़ा देती है,
जैसे मृत्यु

पाँच बरस बाद तीसरी बार यह हुआ
अबकी पड़ोस में वह रहने आई
उसे तब न मेरा पता था
न मुझे उसका।

थोड़ा-सा शेष जीवन दोनों का
पड़ोस में साथ रहने को बचा था

पहले हम एक ही घर में रहते थे।

3 months ago

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