29 जून 1936 को महाराष्ट्र के अमरावती में पैदा हुए शैल चतुर्वेदी प्रसिद्ध कवि, व्यंग्यकार और हास्यकार थे। इसके साथ-साथ वह अभिनय के क्षेत्र में भी सक्रिय थे, कई टीवी सीरीयल में उन्होंने एक चरित्र अभिनेता के रूप में काम किया जिसमें श्रीमान-श्रीमति विशेष तौर पर लोकप्रिय है। उन्होंने उपहार, चितचोर और चमेली की शादी फ़िल्मों में काम भी किया है। 29 अक्टूबर 2007 को 71 की उम्र में उनकी मृत्यु हो गयी। प्रस्तुत है शैल चतुर्वेदी की एक हास्य कविता -
एक दिन अकस्मात
एक पुराने मित्र से
हो गई मुलाक़ात
कहने लगे- "जो लोग
कविता को कैश कर रहे है
वे ऐश कर रहे हैं
लिखने वाले मौन है
श्रोता तो यह देखता है
कि पढ़ने वाला कौन है
लोग-बाग
चार-ग़ज़लें
और दो लोक गीत चुराकर
अपने नाम से सुना रहे हैं
भगवान ने उन्हें ख़ूबसूरत बनाया है
वे ज़माने को
बेवकूफ़ बना रहे हैं
सूरत और सुर ठीक हो
तो कविता लाजवाब है
यही शायरी का इंक़लाब है
उर्दू का रिजेक्टेड माल
हिन्दी में चल रहा है
चोरों के भरोसे
ख़ानदान पल रहा है
ग़ज़ल किसी की
फ़सल किसी की
भला किसी का"
एक लोकल कवि की लाइन
अखिल भारतीय ने मार दी
लोकल चिल्लाया
"अबे, चिल्लाता क्यों है
तेरी लोकल लाइन को
अखिल भारतीय बना दिया
सारे देश में घुमा दिया।"
2 सप्ताह पहले
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