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जब वह किसी बात को स्वीकार करती है तो ‘हाँ’ नहीं कहती सिर्फ़ ख़ुशी-ख़ुशी अपना काम करने लगती है उसी से हम जानते हैं कि उसने स्वीकार किया। साभार - कविताकोश
जब वह किसी बात को स्वीकार करती है
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