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Rabindranath Tagore Poetry: यह प्यार करना ही सत्य है, यही इस जीवन का दान है

कविता
                
                                                         
                            

अपनी कीर्ति का मैं विश्वास नहीं करता।
जानता हूँ, कालसिन्धु
अपनी रोज़-रोज़ की नियमित तरंगों की मार से
उसे लुप्त कर देगा।

मेरा विश्वास अपने-आप में है।
दोनों शाम उसी विश्वास के पात्र में भर-भर
इस विश्व की
अमर सुधा का मैंने पान किया है।
क्षण-क्षण का प्रेम
उसके भीतर संचित हुआ है।
दुःख के भार से यह पात्र नहीं दरका;
धूल ने उसके शिल्प को काला नहीं किया।

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5 महीने पहले

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