दोस्त कितना अच्छा होता होगा
आता होगा
बैठ जाता होगा पास में
और उसकी परछाईं
धूप में भीतर दोस्त के
टहलती होगी मज़े से
ऐसा सोचता हुआ अभी-अभी
जो गुज़रा है
उसका कोई दोस्त नहीं है
वह जा रहा है बस्ती में
सड़कों पर धूप जा रही है
अपनी लंबी होती परछाईं को
वह देख रहा है
मुड़-मुड़ कर।
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