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Kunwar Narayan Poetry: धूप का एक सुनहरा बादल छा जाए

कविता
                
                                                         
                            तुमने देखा 
                                                                 
                            
कि हँसती बहारों ने? 
तुमने देखा, 
कि लाखों सितारों ने? 

कि जैसे सुबह 
धूप का एक सुनहरा बादल छा जाए, 
और अनायास 
दुनिया की हर चीज़ भा जाए : 
कि जैसे सफ़ेद और लाल गुलाबों का 
एक शरारती गुच्छा 
चुपके से खिड़की के अंदर झाँके 
और फिर हवा से खेलने लग जाए 
शरमा के 
मगर बुलाने पर 
एक भीनी-सी नाज़ुक ख़ुशबू 
पास खड़ी हो जाए आके।  आगे पढ़ें

एक महीने पहले

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