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Social Media Poetry: तुम कुछ कहना चाह रही हो ?

सोशल मीडिया
                
                                                         
                            कोई  बात  नहीं  है  फिर  भी  सहमी  डरी  तुम्हारी आँखें
                                                                 
                            
पिछले  कई  दिनों  से  अक्सर  देखीं  भरी तुम्हारी आँखें
जैसे  कोई  नदी  कैद  हो  बाहर  बहना   चाह   रही   हो 
तुम कुछ कहना चाह रही हो ? 

बहुत दिनों से दिखी न मुझको पहले सी मुस्कान तुम्हारी 
जाने किस उलझन में उलझी यह नन्ही सी जान तुम्हारी!
आखिर क्यों सब तुम्हीं अकेले दम पर सहना चाह रही हो 
तुम कुछ कहना चाह रही हो ? 
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3 महीने पहले

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