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गोपालदास नीरज की कविता- मैं क्यों प्यार किया करता हूँ

गोपालदास नीरज
                
                                                         
                            मैं क्यों प्यार किया करता हूँ? 
                                                                 
                            

सर्वस देकर मौन रुदन का क्यों व्यापार किया करता हूँ? 
भूल सकूँ जग की दुर्घातें उसकी स्मृति में खोकर ही 
जीवन का कल्मष धो डालूँ अपने नयनों से रोकर ही 
इसीलिए तो उर-अरमानों को मैं छार किया करता हूँ। 
मैं क्यों प्यार किया करता हूँ? 
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4 महीने पहले

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