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अली सरदार जाफरी: फिर एक दिन ऐसा आएगा...

अली सरदार जाफरी
                
                                                                                 
                            फिर एक दिन ऐसा आएगा
                                                                                                

आँखों के दिये बुझ जायेंगे
हाथों के कँवल कुम्हलायेंगे
और बर्ग-ए-ज़बाँ से नुक्तो-सदा
की हर तितली उड़ जायेगी

इक काले समन्दर की तह में
कलियों की तरह से खिलती हुई
फूलों की तरह से हँसती हुई
सारी शक्लें खो जायेंगी
खूँ की गर्दिश, दिल की धड़कन
सब रागनियाँ सो जायेंगी आगे पढ़ें

मख़मल...

5 वर्ष पहले

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