आप अपनी कविता सिर्फ अमर उजाला एप के माध्यम से ही भेज सकते हैं

बेहतर अनुभव के लिए एप का उपयोग करें

विज्ञापन

करुणेश त्रिपाठी की हास्य-व्यंग्य रचना- जब तुलसीदास पहुंचे सरकारी दफ्तर

karunesh tripathi poetry hasya vyangya kavita in awadhi tulsidas
                
                                                                                 
                            प्रसंग - रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी आज के युग में होते और सरकारी दफ्तरों के बाबुओं से दो-चार हो रहे होते, तो अपनी अवधी में किस तरह से वार्तालाप कर रहे होते, बस यही छोटा सा प्रयास किया है इस रचना में।
                                                                                                



चित्रकूट के राशनकार्ड दफ्तर में लोगों की लाइन लगी थी.. हर किसी को चाह थी कि प्रधानमंत्री योजना के तहत मिलने वाला सरकारी मुफ़्त राशन उसके घर भी पहुंचे। छोटे बाबू लगातार लोगों से लेनदेन के मामले में उलझे हुए थे। सामने फाइलों का अंबार लगा था। 

ये किसकी फाइल है भाई, तुलसी कौन है? कौन है तुलसीदास? - छोटे बाबू बोले।
तभी चोटीधारी एक शख्स माथे पर टीका लगाए धोती में छोटे बाबू के सामने नमूदार होता है, और कहता है -

हर दिन आवत जात हूं, लगी रहता है आस
राशन कार्ड बना नहीं, नाम है तुलसीदास ।


छोटे बाबू ने ऐनक नीचे करते हुए तुलसीदास को बड़े गौर से देखा और बोले - क्या कहना चाहते हो?
  आगे पढ़ें

1 week ago

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
विज्ञापन
X
बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही