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काका हाथरसी की हास्य कविता- जय बोलो बेईमान की

काका हाथरसी
                
                                                                                 
                            मन, मैला, तन ऊजरा, भाषण लच्छेदार,
                                                                                                

ऊपर सत्याचार है, भीतर भ्रष्टाचार।
झूटों के घर पंडित बाँचें, कथा सत्य भगवान की,
जय बोलो बेईमान की !

प्रजातंत्र के पेड़ पर, कौआ करें किलोल,
टेप-रिकार्डर में भरे, चमगादड़ के बोल।
नित्य नई योजना बन रहीं, जन-जन के कल्याण की,
जय बोलो बेईमान की !
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2 months ago

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