भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने हेमंत सरकार पर बिजली संकट को लेकर निशाना साधा। उन्होंने झारखंड सरकार को 'अक्षम' बताते हुए झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार पर गर्मी के दौरान राज्य में बिजली कटौती से बचने के लिए पहले से योजना नहीं बनाने का आरोप लगाया।
भाजपा की जमशेदपुर महानगर कमेटी की ओर से शनिवार को बिरसानगर में बिजली की भारी किल्लत के विरोध में आयोजित रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि लंबे समय तक बिजली गुल रहने से उद्योग, व्यवसाय, अस्पताल और पानी की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को बिजली कटौती के कारण ऐसे समय में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जब उनकी बोर्ड परीक्षाएं चल रही हैं। दास ने कहा कि जमशेदपुर भीषण गर्मी के बीच 15-17 घंटे तक बिजली कटौती का सामना कर रहा है।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने यहां "अक्रोश मार्च" को संबोधित करते हुए कहा, “देश के सबसे बड़े कोयला उत्पादक राज्यों में से एक झारखंड में गंभीर बिजली संकट को लेकर गुस्सा, हेमंत सरकार की अक्षमता और ऐसी स्थिति से निपटने के लिए पूर्व योजना की कमी के कारण है।” दास ने कहा कि अगर झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार ने मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए पूर्व-योजना बनाई होती, तो वह टाटा पावर, डीवीसी या किसी अन्य कंपनी के साथ बिजली खरीद के लिए समझौते करती।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हाल में स्वीकार किया था कि राज्य बिजली की अधिक मांग को पूरा करने में असमर्थ है, लेकिन कहा कि उनकी सरकार ने खुले बाजार से बिजली खरीदने के लिए अतिरिक्त धन स्वीकृत किया है। सीएम ने कहा था, "गर्मी कल्पना से परे है...देश के कई राज्य बिजली की कमी का सामना कर रहे हैं। उच्च दरों और राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा के कारण खुले बाजार से बिजली खरीदना भी मुश्किल है।"
दास ने दावा किया कि झारखंड में पिछली भाजपा सरकार ने 2024 तक 4,000 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए पतरातू थर्मल पावर स्टेशन और एनटीपीसी के अधिकारियों के साथ समझौता किया था। उन्होंने दावा किया, "वर्तमान झामुमो शासन की अक्षमता के कारण परियोजना को चालू नहीं किया जा सका। हमारा दृष्टिकोण न केवल कोयले बल्कि बिजली के साथ-साथ अन्य राज्यों को निर्यात सुनिश्चित करना था।"
भाजपा नेता ने यह भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने चतरा जिले के उत्तरी कर्णपुरा में एक एनटीपीसी परियोजना की आधारशिला रखी थी, लेकिन यह "केंद्र में यूपीए शासन के तहत दस साल तक ठप रही"। दास ने आरोप लगाया, "2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के तुरंत बाद परियोजना का काम शुरू हो गया था, और यह बिजली उत्पादन के लिए तैयार है, लेकिन अभी भी राज्य से वन विभाग की मंजूरी का इंतजार कर रहा है।"
जमशेदपुर से भाजपा के सांसद विद्युत बरन महतो ने इस बात पर खेद जताया कि झारखंड देश में एक प्रमुख कोयला उत्पादक राज्य होने के बावजूद भारी बिजली संकट से जूझ रहा है। भाजपा के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने हाथों में तख्तियां, पंखे, मोमबत्तियां और लालटेन लेकर शनिवार को जमशेदपुर में "आक्रोश मार्च" निकाला।
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भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने हेमंत सरकार पर बिजली संकट को लेकर निशाना साधा। उन्होंने झारखंड सरकार को 'अक्षम' बताते हुए झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार पर गर्मी के दौरान राज्य में बिजली कटौती से बचने के लिए पहले से योजना नहीं बनाने का आरोप लगाया।
भाजपा की जमशेदपुर महानगर कमेटी की ओर से शनिवार को बिरसानगर में बिजली की भारी किल्लत के विरोध में आयोजित रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि लंबे समय तक बिजली गुल रहने से उद्योग, व्यवसाय, अस्पताल और पानी की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को बिजली कटौती के कारण ऐसे समय में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जब उनकी बोर्ड परीक्षाएं चल रही हैं। दास ने कहा कि जमशेदपुर भीषण गर्मी के बीच 15-17 घंटे तक बिजली कटौती का सामना कर रहा है।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने यहां "अक्रोश मार्च" को संबोधित करते हुए कहा, “देश के सबसे बड़े कोयला उत्पादक राज्यों में से एक झारखंड में गंभीर बिजली संकट को लेकर गुस्सा, हेमंत सरकार की अक्षमता और ऐसी स्थिति से निपटने के लिए पूर्व योजना की कमी के कारण है।” दास ने कहा कि अगर झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार ने मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए पूर्व-योजना बनाई होती, तो वह टाटा पावर, डीवीसी या किसी अन्य कंपनी के साथ बिजली खरीद के लिए समझौते करती।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हाल में स्वीकार किया था कि राज्य बिजली की अधिक मांग को पूरा करने में असमर्थ है, लेकिन कहा कि उनकी सरकार ने खुले बाजार से बिजली खरीदने के लिए अतिरिक्त धन स्वीकृत किया है। सीएम ने कहा था, "गर्मी कल्पना से परे है...देश के कई राज्य बिजली की कमी का सामना कर रहे हैं। उच्च दरों और राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा के कारण खुले बाजार से बिजली खरीदना भी मुश्किल है।"
दास ने दावा किया कि झारखंड में पिछली भाजपा सरकार ने 2024 तक 4,000 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए पतरातू थर्मल पावर स्टेशन और एनटीपीसी के अधिकारियों के साथ समझौता किया था। उन्होंने दावा किया, "वर्तमान झामुमो शासन की अक्षमता के कारण परियोजना को चालू नहीं किया जा सका। हमारा दृष्टिकोण न केवल कोयले बल्कि बिजली के साथ-साथ अन्य राज्यों को निर्यात सुनिश्चित करना था।"
भाजपा नेता ने यह भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने चतरा जिले के उत्तरी कर्णपुरा में एक एनटीपीसी परियोजना की आधारशिला रखी थी, लेकिन यह "केंद्र में यूपीए शासन के तहत दस साल तक ठप रही"। दास ने आरोप लगाया, "2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के तुरंत बाद परियोजना का काम शुरू हो गया था, और यह बिजली उत्पादन के लिए तैयार है, लेकिन अभी भी राज्य से वन विभाग की मंजूरी का इंतजार कर रहा है।"
जमशेदपुर से भाजपा के सांसद विद्युत बरन महतो ने इस बात पर खेद जताया कि झारखंड देश में एक प्रमुख कोयला उत्पादक राज्य होने के बावजूद भारी बिजली संकट से जूझ रहा है। भाजपा के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने हाथों में तख्तियां, पंखे, मोमबत्तियां और लालटेन लेकर शनिवार को जमशेदपुर में "आक्रोश मार्च" निकाला।