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Arvind Kejriwal meeting with Hemant Soren after MK Stalin sought support against Govt ordinance Updates
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Opposition Unity: स्टालिन के बाद CM सोरेन से मिले केजरीवाल; अध्यादेश के खिलाफ मांगा समर्थन
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रांची/नई दिल्ली
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Fri, 02 Jun 2023 02:42 PM IST
इससे पहले केजरीवाल और मान ने चेन्नई में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से मुलाकात की थी। स्टालिन ने केंद्र पर गैर-भाजपा शासित राज्यों में संकट उत्पन्न करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि द्रमुक केंद्रीय अध्यादेश का कड़ा विरोध करेगी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शुक्रवार को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की। इससे पहले केजरीवाल और मान गुरुवार को रांची पहुंच गए। केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ अपनी पार्टी आम आदमी पार्टी (आप) के लिए सीएम सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का समर्थन मांगा।
#WATCH | Delhi CM & AAP national convener Arvind Kejriwal and Punjab CM Bhagwant Mann meet Jharkhand CM and JMM executive president Hemant Soren in Ranchi. pic.twitter.com/46REaFDoyf
दोनों मुख्यमंत्रियों ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस
दिल्ली की सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र सरकार के अध्यादेश पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज हेमंत सोरेन से लंबी चर्चा हुई। उन्होंने हमें संसद के अंदर और संसद के बाहर पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया है। मैं सभी पार्टियों से अनुरोध करता हूं कि जब संसद में ये अध्यादेश आए तब इसका विरोध करें। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाकर केंद्र सरकार ने जनता के साथ धोखा किया है। इसलिए मैं यहा आया हूं और सोरेन सरकार का समर्थन मांगा है। उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि वे और उनकी पार्टी हमारा साथ देगी।
#WATCH | After meeting with Jharkhand CM Hemant Soren in Ranchi over the Centre's Ordinance against Delhi Govt, Delhi CM Arvind Kejriwal says, "...This Ordinance will be introduced in the Parliament during the monsoon session. BJP has majority in Lok Sabha but not in Rajya Sabha.… pic.twitter.com/OMOoktXBUi
अध्यादेश पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि देश की ताकत पर ये बड़ा प्रहार है। संघीय ढ़ाचे की बात केंद्र सरकार करती है, लेकिन कार्य बिल्कुल उसके विपरीत होता है। आज स्पष्ट रूप से देखने को मिलेगा कि जो केंद्र सरकार की सहयोगी सरकारें (राज्य सरकार) नहीं हैं उन सभी सरकारों की एक समान स्थिति है जो चिंता का विषय है।
स्टालिन ने समर्थन का भरोसा
इससे पहले केजरीवाल और मान ने चेन्नई में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से मुलाकात की थी। स्टालिन ने केंद्र पर गैर-भाजपा शासित राज्यों में संकट उत्पन्न करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि द्रमुक केंद्रीय अध्यादेश का कड़ा विरोध करेगी। स्टालिन ने कहा कि केंद्र आम आदमी पार्टी के लिए संकट उत्पन्न कर रहा है और विधिवत चुनी हुई सरकार को स्वतंत्र रूप से काम करने से रोक रहा है। आप सरकार के पक्ष में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बावजूद केंद्र अध्यादेश लाया। स्टालिन ने केजरीवाल को अपना अच्छा दोस्त बताया।
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गैर-भाजपा दलों को साथ लाने की कोशिश
इसके बाद आप प्रमुख केजरीवाल अध्यादेश के खिलाफ समर्थन हासिल करने के लिए गैर-भाजपा दलों के नेताओं से संपर्क कर रहे हैं। उनका मकसद हैं कि संसद में विधेयक लाए जाने पर केंद्र उसे पारित नहीं करा सके।
क्या है मामला?
दरअसल, केंद्र ने आईएएस और दानिक्स कैडर के अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के लिए 19 मई को अध्यादेश जारी किया था। यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली में निर्वाचित सरकार को पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से संबंधित सेवाओं को छोड़कर अन्य सेवाओं का नियंत्रण सौंपने के बाद आया। अध्यादेश जारी किए जाने के छह महीने के भीतर केंद्र को इसकी जगह लेने के लिए संसद में एक विधेयक लाना होगा। शीर्ष अदालत के 11 मई के फैसले से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और पदस्थापना उपराज्यपाल के कार्यकारी नियंत्रण में थे।
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