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सांबा: जिस कबाड़ की फैक्टरी में हुआ धमाका, वो 8 साल से अवैध रूप से चल रही थी, सिडको को नहीं लगी भनक

अमर उजाला नेटवर्क, जम्मू Published by: kumar गुलशन कुमार Updated Sun, 26 Mar 2023 04:34 PM IST
सार

फैक्टरी में पहले तांबा पिघलाने का काम होता था, लेकिन 2008 में यह किन्हीं कारणों से बंद हो गई। आठ साल पहले ही फैक्टरी मालिक ने यहां कबाड़ का काम शुरू किया था।

Samba: bari brahmna factory that exploded was running illegally for 8 years CIDCO didnt get clue
Bari Brahmana - फोटो : संवाद

विस्तार

सांबा के बाड़ी ब्राह्मणा औद्योगिक क्षेत्र के लेन नंबर तीन की जिस कबाड़ की फैक्टरी में धमाका हुआ, वह आठ साल से अवैध रूप से चल रही थी। हैरानी इस बात की है कि इसकी भनक सिडको को भी नहीं थी। हालांकि बाड़ी ब्राह्मणा इंडस्ट्रियल एसोसिएशन का दावा है कि फैक्टरी बंद होने के बाद सिडको को पत्र लिखा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।



इस फैक्टरी में पहले तांबा पिघलाने का काम होता था, लेकिन 2008 में यह किन्हीं कारणों से बंद हो गई। आठ साल पहले ही फैक्टरी मालिक ने यहां कबाड़ का काम शुरू किया था। कबाड़ के रूप में ज्यादातर सेना के पुराने वाहन यहां लाए जाते थे, जिन्हें खोलकर या तोड़कर अलग-अलग किया जाता था। फैक्टरी में आठ से दस कर्मचारी काम करते थे और प्रतिदिन पांच से छह कबाड़ से भरे वाहन आते थे।


फैक्टरी के साथ एक अन्य फैक्ट्री में काम करने वाले निजी सुरक्षा गार्ड ने कहा कि शनिवार दोपहर वह ड्यूटी पर था, तभी अचानक एक जोरदार धमाका हुआ। धमाका इतना तेज था कि हर कोई डर गया। जैसे ही बाहर निकले तो कबाड़ वाली फैक्टरी में शोर मचा हुआ था। पता ही नहीं चला क्या हुआ। फिर धमाके में घायलों को बाहर निकाला जाने लगा। इसके बाद पुलिस और सेना के जवान पहुंचे और पूरा क्षेत्र छावनी में बदल गया।

सुरक्षा गार्ड ने बताया कि कबाड़ की फैक्टरी में पहले भी तेज आवाजें आती थीं, लेकिन पहली बार इतना जोर का धमाका हुआ। उन्होंने कहा कि 15 साल से यहां काम कर रहा हूं। हर दिन पांच से दस कबाड़ से भरे ट्रक फैक्टरी में आते और बाहर जाते थे। ज्यादातर पुराने वाहन सेना के होते हैं। 

वहीं, बाड़ी ब्राह्मणा इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष ललित महाजन ने कहा कि फैक्ट्री 2008 से आर्थिक कारणों से बंद पड़ी है। इसमें पहले तांबा पिघलाने का काम होता था। एसोसिएशन की तरफ से फैक्ट्री के मालिक सुभाष गुप्ता को यहां जमीन आवंटित की गई थी। एसोसिएशन ने सिडको को इस बारे में कई बार पत्र भी लिखा था, लेकिन सिडको ने कोई कार्रवाई नहीं की।

तीन दिन पहले मोहन ने कहा था, कोई नौकरी होगी बताना

सुरक्षा गार्ड ने कहा कि मृतक मोहन लाल से तीन दिन पहले बातचीत हुई थी। उसने कोई नौकरी देखने को कहा था। कहता था काफी खतरनाक काम है, अब और करने का मन नहीं है। अगर तुम्हारी नजर में कोई काम होगा तो बताना। मोहन काफी अच्छा व्यक्ति था। जब से इस फैक्टरी में कबाड़ का काम हो रहा है वह तब से यहां काम करता था।
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फैक्ट्री के साथ है गैस प्लांट

फैक्टरी के साथ गैस प्लांट है। जहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में गैस के टैंकर आते हैं। ऐसे में अगर धमाका से आग लग जाती तो बड़ा हादसा हो सकता था।

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