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Jammu: भारत-पाकिस्तान सीमा के पास स्थित टाली माता मंदिर के स्थापना दिवस पर उमड़े श्रद्धालु, टेका माथा

अमर उजाला नेटवर्क, जम्मू Published by: जम्मू और कश्मीर ब्यूरो Updated Mon, 20 Mar 2023 01:32 PM IST
सार

मढ़ के गांव नई बस्ती में स्थित प्राचीन माता टाली मंदिर का स्थापना दिवस मनाया गया। माता के दर्शन के लिए दिनभर भक्तों की कतारें लगी रहीं।

Devotees gathered on foundation day of Tali Mata Temple located near India-Pakistan border jammu
Tali Mata Mandir - फोटो : संवाद

विस्तार

जम्मू के सीमावर्ती क्षेत्र मढ़ के गांव नई बस्ती में स्थित प्राचीन माता टाली मंदिर का स्थापना दिवस मनाया गया। माता के दर्शन के लिए दिनभर भक्तों की कतारें लगी रहीं। सुबह हवन करवाया गया। भक्तों के लिए भंडारा भी लगाया गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने पहुंचकर प्रसाद ग्रहण किया। दिन भर यहां मेले जैसा माहौल बना रहा।



मंदिर के पुजारी बद्रीनाथ ने बताया कि 1947 से पहले जहां पर मियां चौक गांव होता था। राजपूत, ब्राह्मण व विशेष समुदाय के लोग रहते थे। मान्यता के अनुसार इसी गांव से जमवाल राजपूत व्यक्ति नदी पार कर जम्मू स्थित बाबे वाली माता के दर्शन के लिए जाता था। जब वह बूढ़े हो गए तब भी दर्शन के लिए पैदल जाते रहे। एक दिन बरसात हो रही थी। वह दर्शन के लिए गए तो माता ने उनको दर्शन देकर कहा कि आप अब बूढ़े हो चुके हो। घर पर बैठकर भी मेरी सेवा कर सकते हो। तब बाबे वाली माता ने उन्हें एक पत्थर उठाकर दिया।


उन्होंने वह पत्थर लिया और गांव में आकर एक टाली के पेड़ के पास रख दिया। मंदिर बनाकर जहां पर माता की पूजा करने लगा। सन 1947 के विभाजन के समय मियां चौक गांव में आग लगा दी गई। उस समय घर कच्चे व घास के होते थे। इसके बाद विशेष समुदाय के लोग पाकिस्तान चले गए। राजपूत और ब्राह्मण गजनसू व जम्मू चले गए।

1965 में एग्रीकल्चर फार्म नंदपुर आरएस पुरा से यहां स्थापित कर दिया गया। बताया जाता है कि पेड़ों की कटाई करते समय जब मजदूर टाली का पेड़ काटने लगे तो इससे खून निकला। पेड़ काटने वाले अंधे हो गए। उन्होंने माता से क्षमा मांगी तो ठीक हुए। फिर माता को प्रसाद चढ़ाया। 1977 में मचाल टावर में सेना का कैंप था। कैंप से सूबेदार व तीन जवान लकड़ी लेने के लिए जहां आए।

उन्होंने टाली के पेड़ से लकड़ी काटी तो आगे कुछ भी दिखाई नहीं दिया। पीछे मुड़कर देखते तो उन्हें पेड़ दिखाई देने लगा। वहां मौजूद एक किसान को जवानों ने बताया कि हमें यहां पर टाली का पेड़ दिखाई देता है। तब देवी चंद ने उनको बताया कि आप लकड़ी वहां पर वापस डालो और टाली के पास छोटा मंदिर है। वहां पर जाकर माफी मांगो। माफी मांगने पर वे ठीक हो गए और यहां पर तारबंदी करवाई।

1999 में कारगिल युद्ध के दौरान मंदिर के आगे पीछे सेना ने माइंस लगा दिए थे। 2001 में सेना की आठ जैकलाई बटालियन को माइंस निकालने की जिम्मेदारी दी गई। उस समय आर्मी कमांडर ने माता जी के पास आकर प्रार्थना की कि माइंस निकालते समय जवानों को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। माता जी की कृपा से बिना किसी नुकसान के सभी माइंस निकाल लिए गए।
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उसके बाद सेना कमांडर और जवानों ने टाली माता का भव्य मंदिर बनाया। इसके साथ आसपास के गांव वालों ने भी मंदिर बनवाने में सहयोग किया। जनवरी 2018 में पाकिस्तान ने यहां 20 के करीब गोले दागे, जो माता के मंदिर की चहारदीवारी के बाहर गिरे, लेकिन चिनौर में काम कर रहे लोगों को कोई भी नुकसान नहीं हुआ।

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