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गिलगित और बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न अंग है, लेकिन पाकिस्तान इस क्षेत्र के साथ एक कॉलोनी की तरह बर्ताव कर रहा है। पाकिस्तान इस क्षेत्र के समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों, लोगों के संवैधानिक और मौलिक अधिकारों का शोषण कर रहा है। जम्मू यूनिवर्सिटी के रणनीतिक और क्षेत्रीय अध्ययन (डीएसआरएस) विभाग की ओर से 1994 में पीओजेके को लेकर संसद में पारित प्रस्ताव के उपलक्ष्य पर आयोजित संकल्प दिवस कार्यक्रम में दिल्ली स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के सहायक प्रोफेसर कैप्टन आलोक बंसल ने ये बात कही।
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इसके बाद उन्होंने कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र की संस्कृति और भाषा काफी समृद्ध है, लेकिन पाकिस्तान इसको खत्म करने के साथ कट्टरपंथ की विचारधारा को बढ़ावा दे रहा है। जिसका परिणाम इस क्षेत्र से जम्मू-कश्मीर में होने वाली घुसपैठ बता रही है। पीओजेके पर पारित प्रस्ताव में यूनिवर्सिटी की ओर से विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया।
इस दौरान प्रो. कैप्टन आलोक बंसल ने कहा कि समय आ गया है कि अब हम 26 वर्ष पहले संसद में पारित प्रस्ताव पर गंभीरता से सोचें। गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न अंग है, ऐसे में हमें वहां की संस्कृति, भाषा, भूगोल को जानना होगा। 1994 में पारित प्रस्ताव पाकिस्तान में कब्जे वाले भारत की क्षेत्रों की बात करता है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान की आजादी के नाम पर एक स्वांग रचा है। 2018 में पाकिस्तान ने वहां पर कुछ संवैधानिक ढांचा देने का काम किया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने मीरपुर, मुजफ्फराबाद को संस्कृृति रूप से काफी हद तक अपने साथ मिला लिया है। वहीं गिलगित, बाल्टिस्तान क्षेत्र की संस्कृति और भाषा काफी समृद्ध है, लेकिन पाकिस्तान इसको खत्म करने के साथ कट्टरपंथ की विचारधारा को बढ़ावा दे रहा है। इस दौरान जम्मू यूनिवर्सिटी वीसी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की पीओजेके के साथ भावनात्मक जुड़ाव है।
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गिलगित और बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न अंग है, लेकिन पाकिस्तान इस क्षेत्र के साथ एक कॉलोनी की तरह बर्ताव कर रहा है। पाकिस्तान इस क्षेत्र के समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों, लोगों के संवैधानिक और मौलिक अधिकारों का शोषण कर रहा है। जम्मू यूनिवर्सिटी के रणनीतिक और क्षेत्रीय अध्ययन (डीएसआरएस) विभाग की ओर से 1994 में पीओजेके को लेकर संसद में पारित प्रस्ताव के उपलक्ष्य पर आयोजित संकल्प दिवस कार्यक्रम में दिल्ली स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के सहायक प्रोफेसर कैप्टन आलोक बंसल ने ये बात कही।
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इसके बाद उन्होंने कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र की संस्कृति और भाषा काफी समृद्ध है, लेकिन पाकिस्तान इसको खत्म करने के साथ कट्टरपंथ की विचारधारा को बढ़ावा दे रहा है। जिसका परिणाम इस क्षेत्र से जम्मू-कश्मीर में होने वाली घुसपैठ बता रही है। पीओजेके पर पारित प्रस्ताव में यूनिवर्सिटी की ओर से विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया।
इस दौरान प्रो. कैप्टन आलोक बंसल ने कहा कि समय आ गया है कि अब हम 26 वर्ष पहले संसद में पारित प्रस्ताव पर गंभीरता से सोचें। गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न अंग है, ऐसे में हमें वहां की संस्कृति, भाषा, भूगोल को जानना होगा। 1994 में पारित प्रस्ताव पाकिस्तान में कब्जे वाले भारत की क्षेत्रों की बात करता है।
गिलगित-बाल्टिस्तान की आजादी के नाम पर पाकिस्तान ने स्वांग रचा है
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान की आजादी के नाम पर एक स्वांग रचा है। 2018 में पाकिस्तान ने वहां पर कुछ संवैधानिक ढांचा देने का काम किया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने मीरपुर, मुजफ्फराबाद को संस्कृृति रूप से काफी हद तक अपने साथ मिला लिया है। वहीं गिलगित, बाल्टिस्तान क्षेत्र की संस्कृति और भाषा काफी समृद्ध है, लेकिन पाकिस्तान इसको खत्म करने के साथ कट्टरपंथ की विचारधारा को बढ़ावा दे रहा है। इस दौरान जम्मू यूनिवर्सिटी वीसी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की पीओजेके के साथ भावनात्मक जुड़ाव है।
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