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जम्मू विश्वविद्यालय के पुंछ कैंपस में तीन माह में गुज्जर और पहाड़ी लिटरेरी रिसर्च सेंटर को शुरू किया जाएगा। इस सेंटर को बीते साल मंजूरी मिल चुकी थी, लेकिन कोरोना के कारण इसे संचालित नहीं किया गया। अब स्थिति सामान्य होते ही कैंपस के रेक्टर प्रोफेसर दीपांकर सैन गुप्ता ने जल्द ही शोध केंद्र को चालू करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि गुज्जर व पहाड़ी समुदाय की भाषा और संस्कृति पर शोध किया जाएगा।
केंद्र को शुरू करने का उद्देश्य लोगों को पहाड़ी जनजातीय समुदाय की जीवन शैली और परंपरागत इतिहास से अवगत करवाना है। शोधार्थियों को शोध करने के लिए छात्रवृत्ति मिलेगी। विभिन्न विषयों पर शोधार्थी काम कर इतिहास, भाषा और संस्कृति आदि का विश्लेषण करेंगे। प्रो. दीपांकर का कहना है कि इन समुदाय की भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने की जरूरत है। पहाड़ों पर जिंदगी गुजारने वाले इन लोगों की अलग पहचान है। मौसम के बदलने के साथ जनजातीय और पहाड़ी लोग अपने मवेशियों के साथ पहाड़ों और मैदानी इलाकों का रुख करते हैं। इसी परंपरा को आगे बढ़ाने और इन समुदाय को लाभ देने के लिए सरकार व संस्थान मिलकर काम कर रहे हैं।
4.7 लाख से बनेगा जनजातीय म्यूजियम
विश्वविद्यालय में भवन का निर्माण कार्य जारी है। लेकिन भवन के तैयार होने से पहले ही शोध कार्य बढ़ाया जाएगा। इसके लिए परिसर में व्यवस्था है। इसके अलावा 4.7 लाख रुपये की लागत से जनजातीय म्यूजियम भी बनाया जाएगा। इसमें जनजाति से संबंधित वाद्य यंत्र और अन्य आकर्षक वस्तुओं को रखा जाएगा, जिनका यह समुदाय दैनिक जीवन में प्रयोग करता है।
रोजगार संबंधी कोर्स भी करवाए जाएंगे, हर कोर्स में होंगी 30 सीटें
खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, बागवानी, कॉलेज ऑफ नर्सिंग इंफार्मेशन एंड टेक्नोलॉजी, बायो टेक्नोलॉजी से रोजगार संबंधित कोर्स भी शुरू किए जाएंगे। प्रत्येक कोर्स में 30 सीटें होंगी। जम्मू विश्वविद्यालय में लिखित प्रवेश परीक्षा के आधार पर छात्रों को प्रवेश मिलेगा। जानकारी के मुताबिक डेढ़ साल पहले शिक्षकों के पद भरने की सरकार से मंजूरी मांगी गई है। पद भरने की मंजूरी मिलते ही कोर्स शुरू किए जाएंगे। फिलहाल कैंपस में सेरीकल्चर विभाग चला है।