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J&K Highcourt: शैक्षणिक अवकाश की अवधि को प्रतिनियुक्ति के रूप में नहीं माना जा सकता

अमर उजाला नेटवर्क, जम्मू Published by: kumar गुलशन कुमार Updated Thu, 08 Jun 2023 03:59 PM IST
सार

जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय का मानना है कि किसी कर्मचारी द्वारा स्टडी लीव की अवधि को प्रतिनियुक्ति के रूप में नहीं माना जा सकता है।

jammu kashmir Highcourt said Period of academic leave cannot be treated as deputation
न्यायालय - फोटो : file photo

विस्तार
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जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय का मानना है कि किसी कर्मचारी द्वारा स्टडी लीव की अवधि को प्रतिनियुक्ति के रूप में नहीं माना जा सकता है। यह मामला डॉ. जावेद इकबाल से जुड़ा है, जो स्वास्थ्य विभाग में 2010 में बतौर मेडिकल अफसर नियुक्त हुए। 



बाद में वह 2014 से 2017 तक दिल्ली में डीएनबी कोर्स करने के लिए स्टडी लीव पर चले गए। वापस लौटने पर दोबारा ज्वाॅइन किया। लेकिन स्टडी लीव की अवधि को इकवाल ने डेपुटेशन के रूप में स्वीकार करने के लिए कहा और इस अवधि के तमाम लाभ देने की मांग की। न्यायाधीश संजीव कुमार और पुनित गुप्ता वाली खंडपीठ ने बुधवार इस मामले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की। खंडपीठ ने इसे लेकर यह भी कहा कि अपीलकर्ता कोर्ट में पूरा तंत्र बताए कि स्टडी लीव को लेकर क्या नियम हैं। 


ऋण धोखाधड़ी मामले में 7 आरोपियों के खिलाफ दायर की चार्जशीट

विशेष अपराध शाखा (अपराध शाखा) श्रीनगर ने ऋण धोखाधड़ी मामले में एक स्थानीय अदालत में सात आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया है। एक बयान के अनुसार, सात आरोपी शेख समीउल्लाह, अब्दुल्ला निवासी नवा कदल श्रीनगर, मदल लाल शर्मा निवासी वर्तमान में 196 ए गांधी नगर जम्मू, निसार अहमद निवासी शहीद गंज श्रीनगर, शेख नीलम जन निवासी एचएमटी श्रीनगर, मोहम्मद सईद शेख निवासी नतीपोरा श्रीनगर, मुदुर कुमार नैगी निवासी उत्तराखंड और लाभार्थी (अब मृतक) पर दंडनीय अपराधों में शामिल होने के लिए उनके खिलाफ न्यायाधीश श्रीनगर की अदालत के समक्ष आरोप पत्र दायर किया गया था।

बयान में कहा गया है कि फर्जी और जाली राजस्व दस्तावेजों और गिरवी रखी हुई जमीन के आधार पर इंडियन ओवरसीज बैंक शाखा डलगेट, श्रीनगर द्वारा 48 लाख रुपये के ऋण की मंजूरी के संबंध में उपायुक्त बडगाम द्वारा दर्ज शिकायत पर अपराध शाखा कश्मीर में तत्काल मामला दर्ज किया गया था। मामले की जांच के दौरान यह पाया गया कि वर्ष 2006 में शेख समीउल्लाह ने अपने चाचा (अब मृतक), इंडियन ओवरसीज बैंक के तत्कालीन प्रबंधक और सहायक प्रबंधक के साथ एक साजिश रची, जिसके तहत लाभार्थी ने फोटोग्राफी मशीनरी की खरीद के लिए ऋण के लिए आवेदन किया। 

शेख समीउल्लाह और लाभार्थी ने बुगरू खानसाहिब बडगाम में 04 कनाल जमीन खरीदी और उक्त संपत्ति को गिरवी रखने के लिए संबंधित राजस्व अधिकारियों से उक्त जमीन के राजस्व कागजात प्राप्त किए। शेख समीउल्लाह ने बुगरू को बेमिना श्रीनगर के साथ बदलकर इन राजस्व दस्तावेजों को जाली बना दिया क्योंकि बुगरू खानसाहिब की तुलना में बेमिना में जमीन की दर बहुत अधिक है। 

बैंक प्रबंधक, उप प्रबंधक और इंडियन ओवरसीज बैंक डलगेट के कानूनी सलाहकार ने इन दस्तावेजों को सत्यापित किए बिना सुविधा प्रदान की। ऋण आवेदन के रूप में उल्लेख किया गया है कि मैसर्स आफरीन प्रोडक्शंस के लिए मशीनरी और उपकरण मैसर्स ओरिएंटल स्टोर्स हरि सिंह हाई स्ट्रीट श्रीनगर से प्राप्त किए गए थे। शेख समीउल्लाह जम्मू-कश्मीर बैंक गणपत्यार श्रीनगर में एक बैंक खाता खोलने में कामयाब रहे। इंडियन ओवरसीज बैंक डलगेट श्रीनगर ने स्वीकृत ऋण राशि को मशीनरी के आपूर्तिकर्ता होने के नाते इस खाते में स्थानांतरित कर दिया, जिसे शेख समीउल्लाह द्वारा वापस ले लिया गया था और ऋण के लिए एक भी पुनर्भुगतान नहीं किया गया था।

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