जम्मू। शहर में लावारिस कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने के लिए नगर निगम फिर से नसबंदी अभियान शुरू किया है। इस बार एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम (एबीसी) और रेबीज इंजेक्शन लगाने का काम एजेंसी को सौंपा गया है। शहर में 80 हजार के करीब लावारिस कुत्ते घूम रहे हैं। एजेंसी के जरिये ही इनकी नसबंदी कर इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं। पहले नगर निगम अपने स्तर पर काम कर रहा था, लेकिन कुत्तों की संख्या कम होने के बजाय बढ़ती जा रही है।
हर मोहल्ले में कुत्तों की संख्या बढ़ने के कारण लोगों को भी परेशानी आ रही है। इससे पहले नगर निगम जब भी वार्ड में कुत्तों को पकड़ने का काम शुरू करता, जैसे ही टीमें मोहल्लों में पहुंचतीं तो कुत्ते पकड़ में नहीं आते थे। इस कारण प्रोजेक्ट सिरे नहीं चढ़ पाता था। अब कुत्ते पकड़ने का काम भी एजेेंसी ही करेगी और नसबंदी की जाएगी।
साल कुत्तों की संख्या
2017 55 हजार
2018 63 हजार
2019 71 हजार
2020 78 हजार
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प्रति कुत्ता 1150 रुपये आएगा खर्चा
एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम (एबीसी) के तहत एजेंसी फोडिकॉज प्रति कुत्ते के 1150 रुपये नसबंदी के लेगी। इस राशि में कुत्तों को उठाना, छोड़ना, केयर, ऑपरेशन, रेबीज इंजेक्शन लगाए जाएंगे। पहले नगर निगम को प्रति कुत्ता दो हजार के आसपास खर्चा पड़ रहा था। कुत्ते को जहां से उठाया जाएगा, वहीं पर छोड़ा जाएगा। हर माह एक हजार कुत्तों को पकड़ा जाएगा।
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रात को गलियों से गुजरना खतरे से खाली नहीं
रात के समय गलियों से गुजरना जोखिम भरा हो जाता है। कुत्ते अकसर लोगों को काटते हैं। हर माह बीस से तीस लोग कुत्तों के काटने के कारण इलाज करवाने जीएमसी पहुंच रहे हैं। गर्मी के मौसम में मामले बढ़ जाते हैं।
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कुत्तों की नसबंदी और रेबीज टीके लगाने के लिए काम अब एजेंसी करेगी। एजेंसी ने काम करना शुरू कर दिया है। अभियान दो साल तक चलाया जाएगा। इससे कुत्तों की संख्या नियंत्रित रहेगी।
- डॉ. सुशील कुमार, वेटरनरी अधिकारी, जेएमसी
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जम्मू। शहर में लावारिस कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने के लिए नगर निगम फिर से नसबंदी अभियान शुरू किया है। इस बार एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम (एबीसी) और रेबीज इंजेक्शन लगाने का काम एजेंसी को सौंपा गया है। शहर में 80 हजार के करीब लावारिस कुत्ते घूम रहे हैं। एजेंसी के जरिये ही इनकी नसबंदी कर इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं। पहले नगर निगम अपने स्तर पर काम कर रहा था, लेकिन कुत्तों की संख्या कम होने के बजाय बढ़ती जा रही है।
हर मोहल्ले में कुत्तों की संख्या बढ़ने के कारण लोगों को भी परेशानी आ रही है। इससे पहले नगर निगम जब भी वार्ड में कुत्तों को पकड़ने का काम शुरू करता, जैसे ही टीमें मोहल्लों में पहुंचतीं तो कुत्ते पकड़ में नहीं आते थे। इस कारण प्रोजेक्ट सिरे नहीं चढ़ पाता था। अब कुत्ते पकड़ने का काम भी एजेेंसी ही करेगी और नसबंदी की जाएगी।
साल कुत्तों की संख्या
2017 55 हजार
2018 63 हजार
2019 71 हजार
2020 78 हजार
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प्रति कुत्ता 1150 रुपये आएगा खर्चा
एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम (एबीसी) के तहत एजेंसी फोडिकॉज प्रति कुत्ते के 1150 रुपये नसबंदी के लेगी। इस राशि में कुत्तों को उठाना, छोड़ना, केयर, ऑपरेशन, रेबीज इंजेक्शन लगाए जाएंगे। पहले नगर निगम को प्रति कुत्ता दो हजार के आसपास खर्चा पड़ रहा था। कुत्ते को जहां से उठाया जाएगा, वहीं पर छोड़ा जाएगा। हर माह एक हजार कुत्तों को पकड़ा जाएगा।
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रात को गलियों से गुजरना खतरे से खाली नहीं
रात के समय गलियों से गुजरना जोखिम भरा हो जाता है। कुत्ते अकसर लोगों को काटते हैं। हर माह बीस से तीस लोग कुत्तों के काटने के कारण इलाज करवाने जीएमसी पहुंच रहे हैं। गर्मी के मौसम में मामले बढ़ जाते हैं।
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कुत्तों की नसबंदी और रेबीज टीके लगाने के लिए काम अब एजेंसी करेगी। एजेंसी ने काम करना शुरू कर दिया है। अभियान दो साल तक चलाया जाएगा। इससे कुत्तों की संख्या नियंत्रित रहेगी।
- डॉ. सुशील कुमार, वेटरनरी अधिकारी, जेएमसी
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