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अरनिया: बीएसएफ ने लोगों की जमीनों पर लगाई तारबंदी की निशानी, गुस्साए ग्रामीणों ने उखाड़ फेंकी

अमर उजाला नेटवर्क, जम्मू Published by: जम्मू और कश्मीर ब्यूरो Updated Tue, 30 May 2023 12:43 PM IST
सार

बीएसएफ के जवान लोगों के खेतों में निशानी लगाकर चले गए थे। लोगों को जब इसका पता चला तो वह सीमा पर खेतों में पहुंच गए और लगाई गई निशानियों को उखाड़कर फेंकने लगे। 

jammu Arnia news: BSF put barricades on people land angry villagers uprooted
अरनिया - फोटो : संवाद

विस्तार
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जम्मू के अरनिया की पंचायत आल्हा के गांव काकू दे कोठे में बीएसएफ ने सोमवार को सीमा पर 135 फुट की तारबंदी करने को लेकर लोगों की जमीन पर निशानी लगा दी। इस पर लोग भड़क गए, और निशानियों को उखाड़कर फेंक दिया। साथ ही चेतावनी दी कि जब तक उनकी जमीनों के उचित मुआवजे पर बात नहीं हो जाती, तारबंदी का काम शुरू नहीं होने दिया जाएगा।



जानकारी के अनुसार, बीएसएफ के जवान लोगों के खेतों में निशानी लगाकर चले गए थे। लोगों को जब इसका पता चला तो वह सीमा पर खेतों में पहुंच गए और लगाई गई निशानियों को उखाड़कर फेंकने लगे। बीएसएफ के एक जवान ने लोगों को निशानी उखाड़ने से मना किया, लेकिन वे नहीं माने, और निशानियां उखाड़कर सीधा अरनिया तहसीलदार कार्यालय पहुंच गए। 


वहां एक घंटा इंतजार करने के बाद उनकी मुलाकात तहसीलदार निर्भय शर्मा से हुई। लोगों ने उन्हें बताया कि बीएसएफ सीमा पर 135 फुट तारबंदी कर रही है। उसे बनाने के लिए उन्होंने लोगों की जमीन पर निशानी लगा दी, लेकिन लोगों को सूचित नहीं किया।

उन्होंने कहा कि उनकी मनमानी नहीं चलेगी। लोगों को अभी तक पहले बनाई गई फेंसिंग का भी उचित मुआवजा नहीं मिला है। जब तक उचित मुआवजे की बात नहीं की जाएगी, तारबंदी नहीं करने दी जाएगी। इस पर तहसीलदार निर्भय शर्मा ने बीएसएफ के अधिकारी को फोन लगाया और उनसे इस मुद्दे पर विचार विमर्श किया। 

उन्होंने कहा कि लोगों के साथ पहले बातचीत की जाए, और उसके बाद राजस्व विभाग के साथ मिलकर जगह की निशानी लगाई जाए। पंचायत आल्हा के नायब सरपंच लवली सिंह ने बताया कि लोगों से बातचीत किए बिना निशानी लगाना गलत है। जिन लोगों की जमीन तारबंदी में आ रही हैं, उन्हें उचित मुआवजा मिलना चाहिए। उसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।

पंचायत चंगिया के किसान रघुवीर सिंह ने बताया कि सीमा पर बसे लोगों को नाजायज परेशान किया जा रहा है। सीमा का किसान पहले से ही फसल को लेकर चिंतित है। किसानों की फेंसिंग में आई जमीनों का भी मुआवजा नहीं मिला है। ऊपर से एक और तारबंदी होने जा रही है। उस पर भी मुआवजे की कोई बात नहीं की जा रही है। सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए और लोगों की समस्या को हल करते हुए मुआवजा देना चाहिए।
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बीएसएफ अधिकारी ने की थी पंचों व सरपंचों के साथ बैठक

जानकारी के अनुसार, सीमा पर तारबंदी को लेकर 21 मई को चिनाज पोस्ट पर बीएसएफ पोस्ट के कमांडिंग ऑफिसर विरेंद्र कुमार और आसपास की पंचायतों के पंचों व सरपंचों के बीच एक बैठक हुई थी। इसमें जनप्रतिनिधियों ने बीएसएफ के कमांडर से तारबंदी करने को लेकर मुआवजा देने की बात को आगे रखा था। उस पर बीएसएफ अधिकारी ने कहा था कि जी-20 सम्मेलन के चलते जनप्रतिनिधियों को बुलाया गया है। जब तारबंदी की प्रक्रिया शुरू की जाएगी तो लोगों को अवगत करवाया जाएगा।

संबंधित बीएसएफ के अधिकारी को फोन पर कहा गया है कि जमीन उनके नाम नहीं हुई है। जब तक जमीन उनके नाम नहीं हो जाती, लोगों को खेतीबाड़ी के लिए वह मना नहीं कर सकते। इस पर बीएसएफ के अधिकारी ने बताया है कि लोगों की जमीन पर निशानी लगाई गई है, परंतु लोगों को खेतीबाड़ी के लिए मना नहीं किया गया है। किसी गलतफहमी के चलते ऐसा हुआ है। इस मुद्दे को हल कर दिया जाएगा। - निर्भय शर्मा, तहसीलदार, अरनिया।

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