छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुए नक्सली हमले में अगवा किए गए जवान राकेश्वर सिंह को नक्सलियों ने छोड़ दिया है। पति की रिहाई पर जवान की पत्नी ने सरकार को धन्यवाद कहा है। अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राकेश्वर सिंह जंगल के रास्ते वापस लौटे हैं। उनके वापस आने पर उन्हें बीजापुर सीआरपीएफ कैंप ले जाया गया।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 210वीं कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट एक्शन (कोबरा) के कांस्टेबल राकेश्वर सिंह की मुक्ति के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने कुछ प्रमुख लोगों को नक्सलियों से बातचीत के लिए नामित किया। इसके बाद बृहस्पतिवार शाम उन्हें मुक्त कर दिया गया। राज्य सरकार द्वारा नामित दल में एक सदस्य जनजातीय समुदाय से थे।
मिन्हास से गृह मंत्री अमित शाह ने की बात
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मिन्हास से बात की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि टेलीफोन पर हुई बातचीत में शाह ने कांस्टेबल राकेश्वर सिंह मिन्हास का कुशलक्षेम जाना।
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में तीन अप्रैल को नक्सिलयों ने सुरक्षाबलों पर हमला कर दिया था जिसमें 22 सुरक्षा कर्मी शहीद हो गए थे। इसके बाद नक्सलियों ने 210वीं बटालियन के कोबरा कमांडो मिन्हास को अगवा कर लिया था। नक्सलियों ने छह दिन तक कब्जे में रखने के बाद मिन्हास को गुरुवार को मुक्त कर दिया।
जवान को सुरक्षित रूप से मुक्त कराने के लिए राज्य सरकार द्वारा जनजातीय समुदाय के एक सदस्य समेत कुछ गणमान्य व्यक्तियों का एक दल गठित किया गया था। इसके बाद माओवादियों ने मिन्हास को मुक्त कर दिया।
तस्वीर में चार मध्यस्थों के साथ नजर आए
सुरक्षा अधिकारियों द्वारा साझा एक अप्रमाणित तस्वीर में मन्हास जंगल में युद्ध के दौरान पहनी जाने वाली वर्दी में कम से कम चार मध्यस्थों के साथ खड़े नजर आ रहे हैं और जंगल की पृष्ठभूमि में कुछ स्थानीय लोग भी बैठे दिख रहे हैं। एक अन्य तस्वीर में कमांडो एक स्थानीय पत्रकार के साथ मोटरसाइकिल पर पीछे बैठे दिख रहे हैं जबकि एक अन्य तस्वीर में एक पत्रकार कमांडो के साथ सेल्फी खींचता दिख रहा है।
सीआरपीएफ के डीआईजी को सौंपा गया
सूत्रों ने कहा कि राकेश्वर सिंह को बीजापुर के बसागुड़ा शिविर में सीआरपीएफ के उप-महानिरीक्षक (बीजापुर) कोमल सिंह को सौंपा गया। इसके बाद मन्हास की चिकित्सा जांच की गई। उन्होंने कहा कि राकेश्वर सिंह को शिविर में रखा जाएगा और जल्द ही डी-ब्रीफिंग के दौर से गुजारा जाएगा। पूछताछ में यह समझने का प्रयास होगा कि किन परिस्थितियों में वह माओवादियों के हाथ आए और माओवादियों के कब्जे में रहने के दौरान उनके साथ क्या हुआ?
सामाजिक कार्यकर्ता सैनी की अहम भूमिका
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की विशेष इकाई के कांस्टेबल को मुक्त किए जाने की इस पूरी प्रक्रिया में सुरक्षा एजेंसियों ने धर्मपाल सैनी नाम के एक सामाजिक कार्यकर्ता की अहम भूमिका बताई है।
बेटे की रिहाई पर राकेश्वर सिंह मन्हास की मां कुंती देवी ने कहा कि हम बहुत ज्यादा खुश हैं। जो हमारे बेटे को छोड़ रहे हैं उनका भी धन्यवाद करती हूं। भगवान का भी धन्यवाद करती हूं। जब सरकार की बात हो रही थी तो मुझे थोड़ा भरोसा तो था परन्तु विश्वास नहीं हो रहा था।
जवान के परिवार ने पीएम मोदी से लगाई थी रिहाई की गुहार
अगवा होने की खबर सामने आने के बाद से ही जम्मू स्थित उनके परिवार के सदस्य लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी रिहाई को लेकर गुहार लगा रहे थे। बुधवार को ही राकेश्वर सिंह को नक्सलियों के कब्जे से छुड़ाने के लिए खौड़ के गांव पगांली, भोरपुर, दानपुर, मट्टू, चक मलाल सहित अन्य कई गांवों के लोगों ने प्रदर्शन किया था। इस दौरान गांव मट्टू पुली के पास अखनूर-पलांवाला मुख्य मार्ग को बंद रखा गया था।
इससे पहले गत सोमवार को सुकमा के एक पत्रकार ने राकेश्वर सिंह के नक्सलियों के कब्जे में होने का दावा किया था। नक्सली संगठन पीएलजीए ने सुरक्षा बलों से मुठभेड़ के दौरान 14 हथियार, 2,000 से ज्यादा कारतूस और बहुत सारा अन्य साजोसामान हाथ लगने का भी दावा किया था साथ ही उन हथियारों व कारतूसों के फोटो भी जारी किए थे।
अमित शाह ने किया था दौरा
हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ का दौरा किया था। इस दौरान शाह ने बस्तर में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी तथा जवानों से मुलाकात की थी। उन्होंने रायपुर के अस्पतालों में भर्ती घायल जवानों से भी मुलाकात की थी।
बता दें कि छत्तीसगढ़ के सुकमा-बीजापुर बॉर्डर पर तीन अप्रैल को नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस घातक हमले में सुरक्षा बलों के 22 जवान शहीद हो गए थे। मुठभेड़ के बाद से कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास लापता थे। बाद में पता चला कि नक्सलियों ने उन्हें अगवा कर लिया था।
विस्तार
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुए नक्सली हमले में अगवा किए गए जवान राकेश्वर सिंह को नक्सलियों ने छोड़ दिया है। पति की रिहाई पर जवान की पत्नी ने सरकार को धन्यवाद कहा है। अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राकेश्वर सिंह जंगल के रास्ते वापस लौटे हैं। उनके वापस आने पर उन्हें बीजापुर सीआरपीएफ कैंप ले जाया गया।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 210वीं कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट एक्शन (कोबरा) के कांस्टेबल राकेश्वर सिंह की मुक्ति के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने कुछ प्रमुख लोगों को नक्सलियों से बातचीत के लिए नामित किया। इसके बाद बृहस्पतिवार शाम उन्हें मुक्त कर दिया गया। राज्य सरकार द्वारा नामित दल में एक सदस्य जनजातीय समुदाय से थे।
मिन्हास से गृह मंत्री अमित शाह ने की बात
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मिन्हास से बात की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि टेलीफोन पर हुई बातचीत में शाह ने कांस्टेबल राकेश्वर सिंह मिन्हास का कुशलक्षेम जाना।
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में तीन अप्रैल को नक्सिलयों ने सुरक्षाबलों पर हमला कर दिया था जिसमें 22 सुरक्षा कर्मी शहीद हो गए थे। इसके बाद नक्सलियों ने 210वीं बटालियन के कोबरा कमांडो मिन्हास को अगवा कर लिया था। नक्सलियों ने छह दिन तक कब्जे में रखने के बाद मिन्हास को गुरुवार को मुक्त कर दिया।
जवान को सुरक्षित रूप से मुक्त कराने के लिए राज्य सरकार द्वारा जनजातीय समुदाय के एक सदस्य समेत कुछ गणमान्य व्यक्तियों का एक दल गठित किया गया था। इसके बाद माओवादियों ने मिन्हास को मुक्त कर दिया।
तस्वीर में चार मध्यस्थों के साथ नजर आए
सुरक्षा अधिकारियों द्वारा साझा एक अप्रमाणित तस्वीर में मन्हास जंगल में युद्ध के दौरान पहनी जाने वाली वर्दी में कम से कम चार मध्यस्थों के साथ खड़े नजर आ रहे हैं और जंगल की पृष्ठभूमि में कुछ स्थानीय लोग भी बैठे दिख रहे हैं। एक अन्य तस्वीर में कमांडो एक स्थानीय पत्रकार के साथ मोटरसाइकिल पर पीछे बैठे दिख रहे हैं जबकि एक अन्य तस्वीर में एक पत्रकार कमांडो के साथ सेल्फी खींचता दिख रहा है।
सीआरपीएफ के डीआईजी को सौंपा गया
सूत्रों ने कहा कि राकेश्वर सिंह को बीजापुर के बसागुड़ा शिविर में सीआरपीएफ के उप-महानिरीक्षक (बीजापुर) कोमल सिंह को सौंपा गया। इसके बाद मन्हास की चिकित्सा जांच की गई। उन्होंने कहा कि राकेश्वर सिंह को शिविर में रखा जाएगा और जल्द ही डी-ब्रीफिंग के दौर से गुजारा जाएगा। पूछताछ में यह समझने का प्रयास होगा कि किन परिस्थितियों में वह माओवादियों के हाथ आए और माओवादियों के कब्जे में रहने के दौरान उनके साथ क्या हुआ?
सामाजिक कार्यकर्ता सैनी की अहम भूमिका
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की विशेष इकाई के कांस्टेबल को मुक्त किए जाने की इस पूरी प्रक्रिया में सुरक्षा एजेंसियों ने धर्मपाल सैनी नाम के एक सामाजिक कार्यकर्ता की अहम भूमिका बताई है।
राकेश्वर सिंह की मां ने रिहाई पर जताई खुशी
बेटे की रिहाई पर राकेश्वर सिंह मन्हास की मां कुंती देवी ने कहा कि हम बहुत ज्यादा खुश हैं। जो हमारे बेटे को छोड़ रहे हैं उनका भी धन्यवाद करती हूं। भगवान का भी धन्यवाद करती हूं। जब सरकार की बात हो रही थी तो मुझे थोड़ा भरोसा तो था परन्तु विश्वास नहीं हो रहा था।
जवान के परिवार ने पीएम मोदी से लगाई थी रिहाई की गुहार
अगवा होने की खबर सामने आने के बाद से ही जम्मू स्थित उनके परिवार के सदस्य लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी रिहाई को लेकर गुहार लगा रहे थे। बुधवार को ही राकेश्वर सिंह को नक्सलियों के कब्जे से छुड़ाने के लिए खौड़ के गांव पगांली, भोरपुर, दानपुर, मट्टू, चक मलाल सहित अन्य कई गांवों के लोगों ने प्रदर्शन किया था। इस दौरान गांव मट्टू पुली के पास अखनूर-पलांवाला मुख्य मार्ग को बंद रखा गया था।
एक पत्रकार के जरिए नक्सलियों ने किया था दावा
इससे पहले गत सोमवार को सुकमा के एक पत्रकार ने राकेश्वर सिंह के नक्सलियों के कब्जे में होने का दावा किया था। नक्सली संगठन पीएलजीए ने सुरक्षा बलों से मुठभेड़ के दौरान 14 हथियार, 2,000 से ज्यादा कारतूस और बहुत सारा अन्य साजोसामान हाथ लगने का भी दावा किया था साथ ही उन हथियारों व कारतूसों के फोटो भी जारी किए थे।
अमित शाह ने किया था दौरा
हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ का दौरा किया था। इस दौरान शाह ने बस्तर में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी तथा जवानों से मुलाकात की थी। उन्होंने रायपुर के अस्पतालों में भर्ती घायल जवानों से भी मुलाकात की थी।
बता दें कि छत्तीसगढ़ के सुकमा-बीजापुर बॉर्डर पर तीन अप्रैल को नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस घातक हमले में सुरक्षा बलों के 22 जवान शहीद हो गए थे। मुठभेड़ के बाद से कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास लापता थे। बाद में पता चला कि नक्सलियों ने उन्हें अगवा कर लिया था।