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जलवायु अनशन: सोनम वांगचुक बोले- पाबंदियां नजरबंदी से भी बदतर, लद्दाख के संरक्षण की कर रहे हैं मांग

अमर उजाला नेटवर्क, जम्मू कश्मीर Published by: विमल शर्मा Updated Tue, 31 Jan 2023 12:24 AM IST
सार

लद्दाख में मैगसेसे पुरस्कार विजेता सोनम वांगचुक का क्लाइमेट फास्ट (जलवायु अनशन) का सोमवार को अंतिम दिन है। इससे पहले उनका समर्थन करने पर विदेशी पर्यटकों पर एफआईआर दर्ज कर दी गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन उन पर दवाब बना रहा है। 

सोनम वांगचुक
सोनम वांगचुक - फोटो : सोनम

विस्तार

लद्दाख के लिए संविधान की छठी अनुसूची के तहत संरक्षण की मांग को लेकर जलवायु अनशन पर बैठे सोनम वांगचुक को लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने खुलकर समर्थन दिया है। लद्दाख से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर संघर्षरत दोनों शीर्ष संगठनों के प्रतिनिधियों ने सोनम वांगचुक से मुलाकात की।



दोनों संगठनों के प्रमुख पदाधिकारियों ने हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख के परिसर में सोनम वांगचुक को खतक भेंटकर सम्मानित किया। सोमवार को उनके अनशन का अंतिम दिन है। एपेक्स बॉडी के अध्यक्ष और पूर्व सांसद थुपसन छेवांग सोनम से मुलाकात के दौरान भावुक हो गए।


उन्होंने कहा, लद्दाख के लिए संघर्षरत सोनम ने समाज और देश के लिए बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने लोकतांत्रिक तरीके से मुद्दे को उठाया है, जिसे लेकर प्रशासन को अलोकतांत्रिक तरीके से पाबंदियां नहीं लगानी चाहिएं।

वहीं केडीए पदाधिकारियों ने कहा, लद्दाखियों के हितों को लेकर केंद्र सरकार ढुलमुल नीति अपना रही है। सोनम वांगचुक ने जो भी मुद्दे और मांगें उठाई हैं, वह सांविधानिक प्रावधानों के तहत है।

पाबंदियां नजरबंदी से भी बदतर : सोनम

सोनम वांगचुक ने कहा, उन्होंने खारदुंगला दर्रे पर जलवायु अनशन की अनुमति मांगी थी, जिसे प्रशासन की ओर से नकारे जाने को वह चुनौती नहीं दे रहे, लेकिन अब उन्हें उनके संस्थान परिसर से लेह शहर भी नहीं जाने दिया जा रहा।

पुलिस की ओर से उनसे हलफनामे पर दबाव में हस्ताक्षर करवाए जा रहे हैं। यह साफ है कि प्रशासन उनकी आवाज को दबाना चाहता है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा, यह पाबंदियां आधिकारिक रूप से लागू की जाने वाली नजरबंदी से भी बदतर हैं।

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