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जम्मू। लद्दाख लोकसभा सीट रियासत में कई मामलों में अन्य सीटों से अलग है। इस सीट का क्षेत्रफल रियासत में बाकी सीटों से सबसे ज्यादा है, जबकि मतदाताओं की संख्या सबसे कम। इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। हालांकि आजाद उम्मीदवारों का प्रदर्शन भी इस सीट पर शानदार रहा है। इस सीट पर अभी तक होने वाले 11 लोकसभा चुनावों में छह बार कांग्रेस, तीन बार आजाद उम्मीदवार और दो बार नेशनल कांफ्रेंस ने कब्जा किया है।
लद्दाख सीट नोबरा, लेह, कारगिल और जंसकार विधानसभा सीटों पर आधारित है। इस सीट का क्षेत्रफल 173266.37 वर्ग किलोमीटर और मतदाताओं की संख्या करीब 159949 है। इस सीट पर सन 1967 और सन 1971 में होने वाले पहले दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के केजी बाकुला ने जीत दर्ज की। सन 1977 में कांग्रेस की पार्वती देवी, 1980 और 1984 में कांग्रेस के पी नामग्याल ने लगातार दो बार जीत दर्ज की। 1989 में आजाद उम्मीदवार मोहम्मद हसन कमांडर विजयी रहे। 1996 में कांग्रेस ने एक बार फिर सीट पर कब्जा किया और पी नामग्याल ने जीत हासिल की। 1998 में यह सीट पहली बार नेकां के कब्जे में आई और नेकां के सईद हुसैन ने जीत दर्ज की। 1999 में नेकां ने कब्जा बरकरार रखा और हसन खान विजयी हुए। उसके बाद से 2004 और 2009 में आजाद उम्मीदवार थुपस्तान छिवांग और हसन खान ने सीट पर कब्जा किया।
जम्मू। लद्दाख लोकसभा सीट रियासत में कई मामलों में अन्य सीटों से अलग है। इस सीट का क्षेत्रफल रियासत में बाकी सीटों से सबसे ज्यादा है, जबकि मतदाताओं की संख्या सबसे कम। इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। हालांकि आजाद उम्मीदवारों का प्रदर्शन भी इस सीट पर शानदार रहा है। इस सीट पर अभी तक होने वाले 11 लोकसभा चुनावों में छह बार कांग्रेस, तीन बार आजाद उम्मीदवार और दो बार नेशनल कांफ्रेंस ने कब्जा किया है।
लद्दाख सीट नोबरा, लेह, कारगिल और जंसकार विधानसभा सीटों पर आधारित है। इस सीट का क्षेत्रफल 173266.37 वर्ग किलोमीटर और मतदाताओं की संख्या करीब 159949 है। इस सीट पर सन 1967 और सन 1971 में होने वाले पहले दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के केजी बाकुला ने जीत दर्ज की। सन 1977 में कांग्रेस की पार्वती देवी, 1980 और 1984 में कांग्रेस के पी नामग्याल ने लगातार दो बार जीत दर्ज की। 1989 में आजाद उम्मीदवार मोहम्मद हसन कमांडर विजयी रहे। 1996 में कांग्रेस ने एक बार फिर सीट पर कब्जा किया और पी नामग्याल ने जीत हासिल की। 1998 में यह सीट पहली बार नेकां के कब्जे में आई और नेकां के सईद हुसैन ने जीत दर्ज की। 1999 में नेकां ने कब्जा बरकरार रखा और हसन खान विजयी हुए। उसके बाद से 2004 और 2009 में आजाद उम्मीदवार थुपस्तान छिवांग और हसन खान ने सीट पर कब्जा किया।