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यात्रा में बाधा बन रही अपंगता
Jammu
Published by:
Updated Wed, 10 Jul 2013 05:31 AM IST
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जम्मू। यात्रा में इस बार कई साधु संतों की अपंगता बाधा बन रही है। इस बार सरकार के सख्त नियमों से उक्त साधु मायूस हैं। नियमों के तहत कोई भी अपंग या शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति अमरनाथ यात्रा पर नहीं जा सकता। यात्रा के दौरान पिछली बार हुई अधिक मौतों के बाद सुप्रीमकोर्ट की हिदायत के बाद इस बार सख्त नियम बनाए गए हैं। हालांकि शारीरिक रूप से अपंग या कमजोर इन साधु महात्माओं नेे अमरनाथ यात्रा पर जाने की उम्मीद बांधे रखी है। ऐसे ही एक साधु हैं अयोध्या के सूदन दास, जो पैदायशी दृष्टिहीन हैं। यह 65 वर्षीय साधु चार बार अमरनाथ यात्रा कर चुके हैं और इनका कहना है कि अब तक कभी कोई दिक्कत नहीं आई। उनकी शारीरिक अपंगता कभी उनकी श्रद्धा के आड़े नहीं आई। उनका यह भी कहना है कि उनमें आत्मविश्वास है और उन्हें भोले बाबा पर पूरा भरोसा है और अगर शंभू चाहेंगे तो वह इस बार भी दर्शन करने जाएंगे। ऐसे ही एक और साधू हैं गुजरात के सरयुग दास, जो कि पोलियो के शिकार हैं। इनको बातचीत करने में भी तकलीफ होती है। नौ साल की उम्र से यह साधू जीवन व्यतीत कर रहे हैं, क्योंकि उनके माता-पिता ने उन्हें दान कर दिया था। सरयुग पहले तीन बार यात्रा पर जा चुके हैं। इस बार आ रही परेशानियों के बारे में उनका यह कहना है कि साधु तो वैसे ही अपना गृहस्थ जीवन त्याग चुके होते हैं और उसमें भी जब वे शारीरिक रूप से अक्षम हों तो फिर बचता ही क्या है? ऐसे में इस प्रकार की सख्ती साधुओं की दिक्कतों को और बढ़ा देती है। राम मंदिर में रोज न जाने ऐसे कितने साधु आते हैं।
जम्मू। यात्रा में इस बार कई साधु संतों की अपंगता बाधा बन रही है। इस बार सरकार के सख्त नियमों से उक्त साधु मायूस हैं। नियमों के तहत कोई भी अपंग या शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति अमरनाथ यात्रा पर नहीं जा सकता। यात्रा के दौरान पिछली बार हुई अधिक मौतों के बाद सुप्रीमकोर्ट की हिदायत के बाद इस बार सख्त नियम बनाए गए हैं। हालांकि शारीरिक रूप से अपंग या कमजोर इन साधु महात्माओं नेे अमरनाथ यात्रा पर जाने की उम्मीद बांधे रखी है। ऐसे ही एक साधु हैं अयोध्या के सूदन दास, जो पैदायशी दृष्टिहीन हैं। यह 65 वर्षीय साधु चार बार अमरनाथ यात्रा कर चुके हैं और इनका कहना है कि अब तक कभी कोई दिक्कत नहीं आई। उनकी शारीरिक अपंगता कभी उनकी श्रद्धा के आड़े नहीं आई। उनका यह भी कहना है कि उनमें आत्मविश्वास है और उन्हें भोले बाबा पर पूरा भरोसा है और अगर शंभू चाहेंगे तो वह इस बार भी दर्शन करने जाएंगे। ऐसे ही एक और साधू हैं गुजरात के सरयुग दास, जो कि पोलियो के शिकार हैं। इनको बातचीत करने में भी तकलीफ होती है। नौ साल की उम्र से यह साधू जीवन व्यतीत कर रहे हैं, क्योंकि उनके माता-पिता ने उन्हें दान कर दिया था। सरयुग पहले तीन बार यात्रा पर जा चुके हैं। इस बार आ रही परेशानियों के बारे में उनका यह कहना है कि साधु तो वैसे ही अपना गृहस्थ जीवन त्याग चुके होते हैं और उसमें भी जब वे शारीरिक रूप से अक्षम हों तो फिर बचता ही क्या है? ऐसे में इस प्रकार की सख्ती साधुओं की दिक्कतों को और बढ़ा देती है। राम मंदिर में रोज न जाने ऐसे कितने साधु आते हैं।