जम्मू। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अलगाववादी हुर्रियत कान्फ्रेंस के नेताओं से बातचीत के लिए दिल्ली से पैरवी करने को तैयार हैं। बशर्ते हुर्रियत नेता केंद्र सरकार ने बातचीत की इच्छा जाहिर करें। अगर हुर्रियत नेता थोड़ा भी संकेत देते हैं कि वह वार्ता के न्यौते का इंतजार कर रहे हैं तो यकीनन वह इस दिशा में सकारात्मक पहल करेंगे। ये विचार मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने व्यक्त किए। दूसरी तरफ उमर अब्दुल्ला की पेशकश पर हुर्रियत ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। अलबत्ता हुर्रियत नेता सैयद सलीम गिलानी का कहना है कि अभी तक केंद्र अथवा राज्य सरकार से वार्ता की कोई पेशकश नहीं मिली है।
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हमेशा हुर्रियत नेता वार्ता की पेशकश को ठुकराते रहे हैं। हुर्रियत ने केंद्र द्वारा नियुक्त वार्ताकारों से भी बातचीत नहीं की थी। अगर हुर्रियत नेता सार्वजनिक तौर पर वार्ता की पेशकश नहीं करना चाहते तो वह उन्हें संकेत मात्र दें। वह उनकी भावनाओं को केंद्र तक पहुंचाएंगे। हुर्रियत के दोनों धड़ों की पांच सूत्रीय मांगों पर उमर अब्दुल्ला ने स्पष्ट किया कि आज तक अलगाववादी अपना एजेंडा केंद्र को बताने में नाकाम रहे हैं। पिछली दफा जब हुर्रियत नेता प्रधानमंत्री से मिले थे, तो उन्हें प्रधानमंत्री ने ज्ञापन देने की सलाह दी थी, लेकिन आज तक हुर्रियत ने लिखित में कुछ भी केंद्र को नहीं दिया।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर अवाम के नाम अपने संदेश में कहा था कि बंदूक और पैसे राजनीतिक मसलों के हल नहीं है। हल निकालना है तो बातचीत से ही निकलेगा। उन्हाेंने अलगाववादियों से आग्रह किया था कि वह केंद्र सरकार से बातचीत शुरू करे ताकि राजनीतिक मसलों का हल निकल सके।
जम्मू। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अलगाववादी हुर्रियत कान्फ्रेंस के नेताओं से बातचीत के लिए दिल्ली से पैरवी करने को तैयार हैं। बशर्ते हुर्रियत नेता केंद्र सरकार ने बातचीत की इच्छा जाहिर करें। अगर हुर्रियत नेता थोड़ा भी संकेत देते हैं कि वह वार्ता के न्यौते का इंतजार कर रहे हैं तो यकीनन वह इस दिशा में सकारात्मक पहल करेंगे। ये विचार मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने व्यक्त किए। दूसरी तरफ उमर अब्दुल्ला की पेशकश पर हुर्रियत ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। अलबत्ता हुर्रियत नेता सैयद सलीम गिलानी का कहना है कि अभी तक केंद्र अथवा राज्य सरकार से वार्ता की कोई पेशकश नहीं मिली है।
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हमेशा हुर्रियत नेता वार्ता की पेशकश को ठुकराते रहे हैं। हुर्रियत ने केंद्र द्वारा नियुक्त वार्ताकारों से भी बातचीत नहीं की थी। अगर हुर्रियत नेता सार्वजनिक तौर पर वार्ता की पेशकश नहीं करना चाहते तो वह उन्हें संकेत मात्र दें। वह उनकी भावनाओं को केंद्र तक पहुंचाएंगे। हुर्रियत के दोनों धड़ों की पांच सूत्रीय मांगों पर उमर अब्दुल्ला ने स्पष्ट किया कि आज तक अलगाववादी अपना एजेंडा केंद्र को बताने में नाकाम रहे हैं। पिछली दफा जब हुर्रियत नेता प्रधानमंत्री से मिले थे, तो उन्हें प्रधानमंत्री ने ज्ञापन देने की सलाह दी थी, लेकिन आज तक हुर्रियत ने लिखित में कुछ भी केंद्र को नहीं दिया।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर अवाम के नाम अपने संदेश में कहा था कि बंदूक और पैसे राजनीतिक मसलों के हल नहीं है। हल निकालना है तो बातचीत से ही निकलेगा। उन्हाेंने अलगाववादियों से आग्रह किया था कि वह केंद्र सरकार से बातचीत शुरू करे ताकि राजनीतिक मसलों का हल निकल सके।