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लेखक के दर्द को मंच पर दिखाया
Jammu
Updated Mon, 15 Oct 2012 12:00 PM IST
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कहीं भी, कभी भी।
जम्मू। नटरंग की ओर से संडे थिएटर के तहत हिंदी नाटक ‘लेखक’ का मंचन किया गया। बलवंत गार्गी के लिखे इस नाटक का निर्देशन बलवंत ठाकुर ने किया था। नाटक ऐसे साहित्यकारों या लेखकों की मनोदशा पर आधारित है जिसके काम को आम आदमी समझ नहीं पाता है और उनके काम में हस्तक्षेप करते हैं।नाटक लेखक प्रकाश के इर्दगिर्द घूमता है, जिसके पास करने के लिए बहुत कम काम है। एक बार एक फिल्म निर्माता उसको कोई काम देता है, जिसको एक दिन में पूरा करना होता है। आसपास के लोग उसके काम में खलल न डालें, इसके लिए वह अपने आप को एक कमरे में बंद कर लेता है, ताकि वह अपने विचारों को कागज पर उतार सकें, लेकिन लोग ऐसा नहीं मानते हैं। लोगों को लगता है कि वह बेकार में बैठा हुआ है और वह व्यस्त होने का नाटक कर रहा है। सबसे पहले उसके पास पड़ोस की एक औरत आ जाती है जो अपने कुत्ते की शिकायत लेकर पहुंची होती है। औरत के बाद एक युवा आता है जो अपनी गर्लफ्रेंड के छोड़ के चले जाने से परेशान होता है। इनसे निजात पाने को प्रकाश अपने खुद को घर के टायलेट में बंद कर लेता है, लेकिन उसके पैतृक गांव से आया व्यक्ति टायलेट का दरवाजा तोड़कर भीतर घुस जाता है और कहता है कि वह जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ सकता। बलवंत गार्गी ने लेखक की व्यथा को शानदार तरीके से शब्द दिए हैं। नाटक में लेखक की भूमिका विक्रम शर्मा, अभिनव विमर्श, अंतरिक्ष जंडियाल, रोहित वर्मा, अश्वनी विभिन्न भूमिका निभाईं।
जम्मू। नटरंग की ओर से संडे थिएटर के तहत हिंदी नाटक ‘लेखक’ का मंचन किया गया। बलवंत गार्गी के लिखे इस नाटक का निर्देशन बलवंत ठाकुर ने किया था। नाटक ऐसे साहित्यकारों या लेखकों की मनोदशा पर आधारित है जिसके काम को आम आदमी समझ नहीं पाता है और उनके काम में हस्तक्षेप करते हैं।नाटक लेखक प्रकाश के इर्दगिर्द घूमता है, जिसके पास करने के लिए बहुत कम काम है। एक बार एक फिल्म निर्माता उसको कोई काम देता है, जिसको एक दिन में पूरा करना होता है। आसपास के लोग उसके काम में खलल न डालें, इसके लिए वह अपने आप को एक कमरे में बंद कर लेता है, ताकि वह अपने विचारों को कागज पर उतार सकें, लेकिन लोग ऐसा नहीं मानते हैं। लोगों को लगता है कि वह बेकार में बैठा हुआ है और वह व्यस्त होने का नाटक कर रहा है। सबसे पहले उसके पास पड़ोस की एक औरत आ जाती है जो अपने कुत्ते की शिकायत लेकर पहुंची होती है। औरत के बाद एक युवा आता है जो अपनी गर्लफ्रेंड के छोड़ के चले जाने से परेशान होता है। इनसे निजात पाने को प्रकाश अपने खुद को घर के टायलेट में बंद कर लेता है, लेकिन उसके पैतृक गांव से आया व्यक्ति टायलेट का दरवाजा तोड़कर भीतर घुस जाता है और कहता है कि वह जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ सकता। बलवंत गार्गी ने लेखक की व्यथा को शानदार तरीके से शब्द दिए हैं। नाटक में लेखक की भूमिका विक्रम शर्मा, अभिनव विमर्श, अंतरिक्ष जंडियाल, रोहित वर्मा, अश्वनी विभिन्न भूमिका निभाईं।