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डोडा जिले के कंडी केनाल से नहीं छंटे संकट के बादल
Udhampur
Updated Tue, 12 Nov 2013 05:43 AM IST
डोडा। रियासत के डोडा जिले के किसानों को आज भी बुनियादी सुविधाओं की कमी की वजह से दो-चार होना पड़ता है। तहसील ठाठरी के अंतर्गत पड़ने वाले क्षेत्र कारा में कंडी कैनाल (नहर) का काम भी इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए शुरू किया गया था। नहर से भद्रवाह और ठाठरी तहसील के 50 से अधिक गांवों को फायदा हो सकता है। लेकिन फिलहाल इस प्रोजेक्ट का काम बंद है, जिससे जल्द लाभ मिलने की उम्मीद कम है। गौर करें, तो अब तक केवल आधा किलोमीटर काम ही हो पाया है। बताया जाता है कि 2010 से नहर का काम बंद है। कुछ अपने कुछ गैरों की मेहरबानी से नहर पर संकट के बादल छाए रहे। भद्रवाह विधायक मोहम्मद शरीफ नियाज के अनुसार इस नहर का काम शुरू करने के लिए 1980 से ही जद्दोजहद शुरू की। इसको लेकर पैसा केंद्र से मंजूर करवाया। मीडियम इरिगेशन स्कीम के तहत 55 करोड़ रुपये मिलने के बाद काम शुरू हुआ। लेकिन इंड्स वाटर ट्रीटी एक्ट के तहत सबसे पहले पाकिस्तान ने इसका विरोध जताया। तब तत्कालीन कानून मंत्री नियाज शरीफ ने पाक अधिकारियों से बात कर समस्या का हल निकाला। आतंकवाद ने भी इस काम में रोड़ा अटकाया। इसके बाद नहर बनाने का काम ठंडे बस्ते में चला गया। 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री गुलाम नबी के समय में इसके लिए टेंडर हुए थे। इसका ठेका भी दे दिया गया। लेकिन 500 मीटर काम करने के बाद ठेकेदार ने रेट कम होने की बात कहते हुए काम को बंद कर दिया। इसके बाद मामला अदालत में चला गया। तब से मामला अदालत में ही है।
डोडा। रियासत के डोडा जिले के किसानों को आज भी बुनियादी सुविधाओं की कमी की वजह से दो-चार होना पड़ता है। तहसील ठाठरी के अंतर्गत पड़ने वाले क्षेत्र कारा में कंडी कैनाल (नहर) का काम भी इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए शुरू किया गया था। नहर से भद्रवाह और ठाठरी तहसील के 50 से अधिक गांवों को फायदा हो सकता है। लेकिन फिलहाल इस प्रोजेक्ट का काम बंद है, जिससे जल्द लाभ मिलने की उम्मीद कम है। गौर करें, तो अब तक केवल आधा किलोमीटर काम ही हो पाया है। बताया जाता है कि 2010 से नहर का काम बंद है। कुछ अपने कुछ गैरों की मेहरबानी से नहर पर संकट के बादल छाए रहे। भद्रवाह विधायक मोहम्मद शरीफ नियाज के अनुसार इस नहर का काम शुरू करने के लिए 1980 से ही जद्दोजहद शुरू की। इसको लेकर पैसा केंद्र से मंजूर करवाया। मीडियम इरिगेशन स्कीम के तहत 55 करोड़ रुपये मिलने के बाद काम शुरू हुआ। लेकिन इंड्स वाटर ट्रीटी एक्ट के तहत सबसे पहले पाकिस्तान ने इसका विरोध जताया। तब तत्कालीन कानून मंत्री नियाज शरीफ ने पाक अधिकारियों से बात कर समस्या का हल निकाला। आतंकवाद ने भी इस काम में रोड़ा अटकाया। इसके बाद नहर बनाने का काम ठंडे बस्ते में चला गया। 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री गुलाम नबी के समय में इसके लिए टेंडर हुए थे। इसका ठेका भी दे दिया गया। लेकिन 500 मीटर काम करने के बाद ठेकेदार ने रेट कम होने की बात कहते हुए काम को बंद कर दिया। इसके बाद मामला अदालत में चला गया। तब से मामला अदालत में ही है।