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J&K : सिविल सेवा में बढ़ी मुस्लिमों की कामयाबी, इस बार 29 चयनित, तीन फीसदी तक पहुंची हिस्सेदारी

अमर उजाला नेटवर्क, श्रीनगर Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Sun, 28 May 2023 06:23 AM IST
सार

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की तरफ से आयोजित 2022 की सिविल सेवा परीक्षा में 29 मुस्लिम उम्मीदवारों को कामयाबी मिली है। कुल चयनित उम्मीदवारों में मुस्लिम समुदाय के उम्मीदवारों की हिस्सेदारी तीन फीसदी तक हो गई है।

J&K: Success of Muslims increased in civil service
demo pic... - फोटो : Amar Ujala

विस्तार
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केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय की तरफ से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों को दिए जाने वाली अनुदान राशि बढ़ने का असर साफ देखा जा सकता है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की तरफ से आयोजित 2022 की सिविल सेवा परीक्षा में 29 मुस्लिम उम्मीदवारों को कामयाबी मिली है। कुल चयनित उम्मीदवारों में मुस्लिम समुदाय के उम्मीदवारों की हिस्सेदारी तीन फीसदी तक हो गई है। इससे पहले 2021 की परीक्षा में 25 मुस्लिम उम्मीदावारों का चयन हुआ था।



मंत्रालय के एक अधिकारी ने पिछले चार वर्ष से अल्पसंख्यक उम्मीदवारों के प्रदर्शन में उत्तरोत्तर वृद्धि को बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने सबका साथ-सबका विश्वास की अवधारणा को मजबूती देने के लिए अल्पसंख्यक उम्मीदवारों को पर्याप्त अवसर व सुविधा मुहैया कराने के लिए बजट आवंटन में वृद्धि की है। 2019-20 के बजट में अल्पसंख्यक उम्मीदवारों के लिए मुफ्त और सब्सिडी वाली कोचिंग प्रदान करने का बजट आठ करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये कर दिया गया था। ब्यूरो


इस साल ये चेहरे चमके
कश्मीर घाटी में अनंतनाग जिले के ब्रह्मगाम, दूरू के वसीम अहमद भट ने साबित किया कि कड़ी मेहनत का फल जरूर मिलता है। उन्होंने इस साल सिविल सेवा परीक्षा में सातवां स्थान हासिल किया है। वह जम्मू-कश्मीर के अकेले मुस्लिम नहीं हैं। सोपोर के नावेद आशान भट ने इस बार 84वीं रैंक हासिल की है। इसके अलावा श्रीनगर के सौरा के मनन भट ने 231वीं, जम्मू के थथर बनतलाब के मोहम्मद इरफान ने 476वीं, राजौरी के डॉ. इरम चौधरी ने 852वीं रैंक हासिल की है। ये उम्मीदवार दूसरे मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। 

2016 के बाद से बदलाव
वित्त पोषण में यह वृद्धि यूपीएससी, एसएससी व राज्य लोक सेवा आयोगों की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्रों की सहायता योजना के तहत की गई है। अल्पसंख्यक उम्मीदवारों को परीक्षा की तैयारी में समर्थन देने और उन्हें सशक्त बनाने के सरकार के प्रयासों का ही नतीजा है कि 2016 से पहले सिविल सेवा परीक्षा में कामयाब उम्मीदवारों में मुस्लिम समुदाय की भागीदारी 2.5 फीसदी तक होती थी, जो अब तीन फीसदी तक बढ़ गई है।

शाह फैजल से मिली प्रेरणा
कश्मीर के शाह फैजल का सिविल सेवा परीक्षा में पहला स्थान पाना और इसके बाद अल्पसंख्यक युवाओं में जागरूकता बढ़ाने की सरकारी पहलों का ही नतीजा है कि इस साल जम्मू से 13 और कश्मीर से 3 उम्मीदवारों ने कामयाबी पाई है। हालांकि, फैजल पहले शख्स नहीं थे, जो घाटी से निकले और कामयाबी का शिखर छुआ। 1968 में मुहम्मद शफी पंडित पहले कश्मीरी बने, जो आईएएस बने। उनके बाद 1978 में इकबाल खांडे, 1982 में खुर्शीद अहमद गनी और 1993 में असगर समून ने हासिल की। 

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