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राजोरी। लोहड़ी का पावन पर्व बुधवार को जिले भर में पारंपरिक रिवाज और हर्षोल्लास से मनाया गया। इस दौरान कहीं छज्जा लेकर तो कहीं प्राचीन वाद्य यंत्रों व ढोलक की थाप पर लोगों ने लोहड़ी मांग कर धूम मचाई। राजोरी शहर और आसपास के इलाकों में लोहड़ी पर एक दूसरे के साथ खुशी को साझा किया। शाम को पारंपरिक तरीके से लोगों ने घरों या सामूहिक तौर पर लोहड़ी जलाकर सुख समृद्धि मांगी।
सुबह से ही मोहल्लों में वाद्य यंत्रों की धुनों पर लोहड़ी मांगने वालों का सिलसिला शुरू हो गया। खासतौर से जिन घरों में शादी हुई है या जिन घरों में बच्चे का जन्म हुआ है, वहां खासी रौनक रही। लोहड़ी मांगने वाले इन घरों में सबसे ज्यादा पहुंचे। किसी ने लाची दामना हो लाची टूट गई हो... के गीत पर लोहड़ी मांगी, तो किसी ने दुल्ला भट्टी वाला हो व किसी ने हिरणा ओ हिरणा के गीत गाकर लोहड़ी मांगी और एक दूसरे से त्योहार की खुशियों को साझा की। रिश्तेदारों व मित्रों ने भी एक दूसरे के घर जाकर लोहड़ी की खुशी को साझा किया। वहीं शाम के समय पारंपरिक रीति रिवाज से लोहड़ी जलाई गई और इसमें तिल, रेवड़ियां, मूंगफली और चावल आदि का अर्घ्य देकर सुख समृद्धि की कामना की गई।
राजोरी। लोहड़ी का पावन पर्व बुधवार को जिले भर में पारंपरिक रिवाज और हर्षोल्लास से मनाया गया। इस दौरान कहीं छज्जा लेकर तो कहीं प्राचीन वाद्य यंत्रों व ढोलक की थाप पर लोगों ने लोहड़ी मांग कर धूम मचाई। राजोरी शहर और आसपास के इलाकों में लोहड़ी पर एक दूसरे के साथ खुशी को साझा किया। शाम को पारंपरिक तरीके से लोगों ने घरों या सामूहिक तौर पर लोहड़ी जलाकर सुख समृद्धि मांगी।
सुबह से ही मोहल्लों में वाद्य यंत्रों की धुनों पर लोहड़ी मांगने वालों का सिलसिला शुरू हो गया। खासतौर से जिन घरों में शादी हुई है या जिन घरों में बच्चे का जन्म हुआ है, वहां खासी रौनक रही। लोहड़ी मांगने वाले इन घरों में सबसे ज्यादा पहुंचे। किसी ने लाची दामना हो लाची टूट गई हो... के गीत पर लोहड़ी मांगी, तो किसी ने दुल्ला भट्टी वाला हो व किसी ने हिरणा ओ हिरणा के गीत गाकर लोहड़ी मांगी और एक दूसरे से त्योहार की खुशियों को साझा की। रिश्तेदारों व मित्रों ने भी एक दूसरे के घर जाकर लोहड़ी की खुशी को साझा किया। वहीं शाम के समय पारंपरिक रीति रिवाज से लोहड़ी जलाई गई और इसमें तिल, रेवड़ियां, मूंगफली और चावल आदि का अर्घ्य देकर सुख समृद्धि की कामना की गई।