पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
कठुआ। सर्दी की छुट्टियों के बाद स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई का काम अभी रफ्तार भी नहीं पकड़ा कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगा दिया गया। सोमवार से पूरे देश के साथ जिला कठुआ में भी छठी आर्थिक जनगणना का काम शुरू कर दिया गया है। जनगणना के इस कार्य को पूरा करने का जिम्मा शिक्षा विभाग पर सौंपा गया है। जिला कठुआ में भी जनगणना के कार्य जिले के 625 शिक्षकों के कंधों पर है। जनगणना का कार्य अगले पंद्रह दिनों के भीतर पूरा करने को कहा गया है। गौरतलब है कि वर्तमान में जिला कठुआ में शिक्षकों के एक हजार से अधिक शिक्षकों के पद रिक्त हैं। वहीं दिसंबर अंत तक 16322 बेरोजगार युवाओं ने अपना पंजीकरण करवाया है। अध्यापकों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इस वक्त स्कूलों में पढ़ाई का पीक टाइम चल रहा है। ऐसे समय में शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाना तर्कसंगत नहीं है। अध्यापकों का यह भी कहना है कि परिणामों के गिरते स्तर को देखते हुए ऐसे समय में इस कार्य को शिक्षकों को सौंपना गैर जिम्मेदाराना है। जिला प्रशासन द्वारा जनगणना को लेकर हुई बैठक में 415 इन्यूमिरेटरों और 210 सुपरवाइजरों को कार्य सौंपने को कहा गया था। ऐसे में जिले के स्कूलों से 625 शिक्षक नदारद रहेंगे।
बेरोजगारों को सौंपा जाना चाहिए काम
आर्थिक जनगणना का काम शिक्षकों को सौंप कर सरकार ने गैरजिम्मेदाराना कदम उठाया है। जनवरी माह के अंत में इस कार्य को करने के लिए जिले के बेरोजगारों को नियुक्त किया जाना चाहिए था। मार्च के आरंभ में परीक्षाओं का दौर शुरू हो जाएगा। ऐसे पीक टाइम पर शिक्षकों को इस काम में लगाना निहायत रूप से गलत निर्णय है। परिणामों के प्रतिशत के गिरने का दोष भी अंत में विभाग शिक्षकों पर भी डालता है, लेकिन गैर शैक्षणिक कार्य में शामिल करने से पूर्व विभाग को इस बात पर गौर करना चाहिए।
राजिंद्र पेसिफिसट, सिविल सोसायटी के कार्यकर्ता
शिक्षा के साथ-साथ जनगणना भी जरूरी है। जिला स्तर के अधिकारियों द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट के बाद ही शिक्षकों को इस काम के लिए नियुक्त किया गया है। रिपोर्ट में बताया गया कि इस कार्य को करने पर विभाग को कोई दिक्कत नहीं होगी और परीक्षाओं पर भी इसका असर नहीं होगा। इसी आधार पर शिक्षकों को काम सौंपने का फैसला लिया गया है।
-देव लता, स्कूली शिक्षा निदेशक
कठुआ। सर्दी की छुट्टियों के बाद स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई का काम अभी रफ्तार भी नहीं पकड़ा कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगा दिया गया। सोमवार से पूरे देश के साथ जिला कठुआ में भी छठी आर्थिक जनगणना का काम शुरू कर दिया गया है। जनगणना के इस कार्य को पूरा करने का जिम्मा शिक्षा विभाग पर सौंपा गया है। जिला कठुआ में भी जनगणना के कार्य जिले के 625 शिक्षकों के कंधों पर है। जनगणना का कार्य अगले पंद्रह दिनों के भीतर पूरा करने को कहा गया है। गौरतलब है कि वर्तमान में जिला कठुआ में शिक्षकों के एक हजार से अधिक शिक्षकों के पद रिक्त हैं। वहीं दिसंबर अंत तक 16322 बेरोजगार युवाओं ने अपना पंजीकरण करवाया है। अध्यापकों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इस वक्त स्कूलों में पढ़ाई का पीक टाइम चल रहा है। ऐसे समय में शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाना तर्कसंगत नहीं है। अध्यापकों का यह भी कहना है कि परिणामों के गिरते स्तर को देखते हुए ऐसे समय में इस कार्य को शिक्षकों को सौंपना गैर जिम्मेदाराना है। जिला प्रशासन द्वारा जनगणना को लेकर हुई बैठक में 415 इन्यूमिरेटरों और 210 सुपरवाइजरों को कार्य सौंपने को कहा गया था। ऐसे में जिले के स्कूलों से 625 शिक्षक नदारद रहेंगे।
बेरोजगारों को सौंपा जाना चाहिए काम
आर्थिक जनगणना का काम शिक्षकों को सौंप कर सरकार ने गैरजिम्मेदाराना कदम उठाया है। जनवरी माह के अंत में इस कार्य को करने के लिए जिले के बेरोजगारों को नियुक्त किया जाना चाहिए था। मार्च के आरंभ में परीक्षाओं का दौर शुरू हो जाएगा। ऐसे पीक टाइम पर शिक्षकों को इस काम में लगाना निहायत रूप से गलत निर्णय है। परिणामों के प्रतिशत के गिरने का दोष भी अंत में विभाग शिक्षकों पर भी डालता है, लेकिन गैर शैक्षणिक कार्य में शामिल करने से पूर्व विभाग को इस बात पर गौर करना चाहिए।
राजिंद्र पेसिफिसट, सिविल सोसायटी के कार्यकर्ता
शिक्षा के साथ-साथ जनगणना भी जरूरी है। जिला स्तर के अधिकारियों द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट के बाद ही शिक्षकों को इस काम के लिए नियुक्त किया गया है। रिपोर्ट में बताया गया कि इस कार्य को करने पर विभाग को कोई दिक्कत नहीं होगी और परीक्षाओं पर भी इसका असर नहीं होगा। इसी आधार पर शिक्षकों को काम सौंपने का फैसला लिया गया है।
-देव लता, स्कूली शिक्षा निदेशक