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What is electronic interlocking which can be the reason for Balasore accident And why does the system fail
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Interlocking: क्या है इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग जो हो सकती है बालासोर हादसे की वजह, सिस्टम फेल क्यों होता है?
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिवेंद्र तिवारी
Updated Mon, 05 Jun 2023 05:11 PM IST
मौजूदा रेल प्रणाली में इंटरलॉकिंग रेलवे सिग्नलिंग का एक अहम हिस्सा है। इसके माध्यम से रेलवे जंक्शनों, स्टेशनों और सिग्नलिंग बिंदुओं पर ट्रेन की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित की जाती है। डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग से पहले रेलवे सिग्नलिंग अन-इंटरलॉक्ड सिग्नलिंग सिस्टम, मैकेनिकल और इलेक्ट्रो-मैकेनिकल इंटरलॉकिंग सिस्टम पर काम करती रही है।
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इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग
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AMAR UJALA
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बालासोर ट्रेन हादसे को लेकर रविवार को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि दुर्घटना का मूल कारण इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में बदलाव था। ऐसा किसने किया? क्यों किया? कैसे हुआ? इसकी जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि रेलवे सुरक्षा कमिश्नर पूरे मामले की जांच की है। जांच अभी जारी भी है। रिपोर्ट के बाद ही हादसे का कारण और इसके जिम्मेदारों का पता चल पाएगा।
बालासोर ट्रेन हादसे को लेकर रविवार को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि दुर्घटना का मूल कारण इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में बदलाव था। ऐसा किसने किया? क्यों किया? कैसे हुआ? इसकी जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि रेलवे सुरक्षा कमिश्नर पूरे मामले की जांच की है। जांच अभी जारी भी है। रिपोर्ट के बाद ही हादसे का कारण और इसके जिम्मेदारों का पता चल पाएगा।
आखिर ये इंटरलॉकिंग सिस्टम क्या होता है? यह काम कैसे करता है? इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के फायदे क्या हैं? सिस्टम में गड़बड़ी क्यों होती है? आइये जानते हैं…
अश्विनी वैष्णव।
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ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने सवाल किया था कि ट्रैक्स पर कवच सिस्टम क्यों नहीं था? कवच न होने के वजह से ही एक्सीडेंट हुआ। इसके जवाब में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी इंटरलॉकिंग में बदलाव के कारण हादसा हुआ है। कवच के कारण कुछ नहीं हुआ है। यह एक अलग ही कारण है। इसमें प्वाइंट मशीन और इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग शामिल है।
रेल मंत्री ने आगे बताया कि हमारा पूरा ध्यान अभी बहाली पर है। बुधवार सुबह तक यहां का पूरा काम खत्म हो जाएगा।
इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग
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इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग क्या है?
मौजूदा रेल प्रणाली में इंटरलॉकिंग रेलवे सिग्नलिंग का एक अहम हिस्सा है। इसके माध्यम से रेलवे जंक्शनों, स्टेशनों और सिग्नलिंग बिंदुओं पर ट्रेन की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित की जाती है। डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग से पहले रेलवे सिग्नलिंग अन-इंटरलॉक्ड सिग्नलिंग सिस्टम, मैकेनिकल और इलेक्ट्रो-मैकेनिकल इंटरलॉकिंग सिस्टम पर काम करती रही है।
इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग (EI) एक ऐसी सिग्नलिंग व्यवस्था है जिसकेइलेक्ट्रो-मैकेनिकल या पारंपरिक पैनल इंटरलॉकिंग की तुलना में कई फायदे हैं। EI सिस्टम में इंटरलॉकिंग लॉजिक सॉफ्टवेयर पर आधारित है और इसलिए वायरिंग चेंज के बिना आसानी से कोई भी चेंज किया जा सकता है।
EI सिस्टम एक प्रोसेसर-आधारित सिस्टम है जिसमें डेली रूटीन टेस्ट होते हैं। यह सिस्टम की विश्वसनीयता में सुधार करता है और फेल्योर की आशंकाओं को कम कर देता है।
इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल इंटरलॉकिंग
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यह काम कैसे करता है?
इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग का फायदा यह मिलता है कि अगर किसी क्रासिंग पर गेट खुला हुआ है तो सर्वर अपने आप उस रूट की रेलगाड़ियों को लाल बत्ती दिखा देता है जिससे रेलगाड़ी भी रुक जाएगी। इससे हादसे की आशंका काफी हद तक कम हो जाती है।
रेलवे क्रॉसिंग से पहले लाल बत्ती पर खड़ी रेलगाड़ी तब ही चल सकती है, जब आगे क्रॉसिंग का बैरियर लग जाए। इसके बाद ही सिग्नल हरा होगा। हरे सिग्नल पर ही रेलगाड़ी आगे बढ़ सकती है। रेलवे फाटक रेलगाड़ी के आने के पहले ही स्वतः बंद हो जाते हैं और जाने के बाद खुल जाते हैं। कई स्टेशनों में केबिन में बटन वाला पैनल हटा कर दो एलसीडी पैनल (वीडियो डिस्प्ले यूनिट) को भी लगाया गया है और यहां बैठे-बैठे स्टेशन प्रबंधक रेलगाड़ियों के आवागमन को देख सकते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग
- फोटो :
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इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के फायदे क्या हैं?
मौजूदा समय में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली कुछ ही रूट्स पर उपलब्ध है। रेलवे के पूरे नेटवर्क पर शुरू हो जाने से सबसे ज्यादा सुविधा स्टेशन मास्टरों को मिलेगी। अभी तक उन्हें ट्रेनों के आने की सूचना पर कुर्सी से उठकर बटन दबाने जाना पड़ता है। तब लाइन क्लियर होती है। ईआई प्रणाली से कुर्सी पर बैठकर ही वह लाइन क्लियर कर सकते हैं। इसके लिए उनके सामने कंप्यूटर सेट लगा होता है। एक क्लिक से ट्रैक बन जाता है। इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग पूरी तरह सुरक्षित एवं पारदर्शी है। इस प्रणाली से चूक की संभावना न के बराबर होती है। वहीं समय से कार्य होने का फायदा भी है। कोहरे के कारण दुर्घटना भी शून्य हो जाएगी।
इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग
- फोटो :
SOCIAL MEDIA
सिस्टम में खराबी कब आती है?
आमतौर पर सिस्टम में खराबी होने पर सिग्नल लाल हो जाता है। चूंकि इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल इंटरलॉकिंग फेल्योर फ्री प्रोटेक्टेड सिस्टम है। इसलिए बाहरी हस्तक्षेप जैसे मानवीय त्रुटि, खराबी आदि के कारण समस्याएं हो सकती हैं। रेलवे के जानकारों के मुताबिक अगर कोई निर्माण कार्य चल रहा है तो हो सकता है कि केबल के तार कट जाएं। हालांकि, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बालासोर हादसे की वजह इंटरलॉकिंग में चेंज को बताया है और इसे करने वाले के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन भी दिया है।
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