न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोलकाता
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Mon, 01 Mar 2021 08:36 PM IST
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 92 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े करेगी। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सोमवार को घोषणा की कि वाम दलों के साथ अब तक हुई चर्चा में सीटों की साझेदारी पर यह सहमति बनी है। इन सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों की सूची दो दिन में जारी कर दी जाएगी। बता दें पश्चिम बंगाल में विधानसभा की 294 सीटें हैं। इन पर 27 मार्च से आठ चरणों में मतदान होगा।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने रविवार को दावा किया था कि वाम-कांग्रेस और अन्य धर्मनिरपेक्ष ताकतों का महागठबंधन पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दोनों को हराएगा। कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में आयोजित कांग्रेस-वाम दलों की संयुक्त रैली को संबोधित करते हुए चौधरी ने कहा कि बड़ी संख्या में लोगों के एकत्रित होने से साबित होता है कि आगामी चुनाव दो-कोणीय नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि भाजपा और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस चाहती हैं कि इन दोनों दलों के अलावा राज्य में कोई अन्य राजनीतिक ताकत मौजूद न हो, जो उनके रास्ते में आए। उन्होंने कहा कि भविष्य में भाजपा या तृणमूल कांग्रेस कोई नहीं होगा, केवल महागठबंधन रहेगा।
कांग्रेस में कलह भी शुरू
इधर, अधीर रंजन के इस एलान से पहले देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के भीतर कलह फिर शुरू हो गई। इसके पीछे की वजह यह है कि वाम दलों के साथ चुनाव लड़ रही कांग्रेस ने अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) से भी गठबंधन किया है। इसे लेकर अब राज्यसभा में पार्टी के उपनेता ने इसे कांग्रेस की मूल विचारधारा के खिलाफ बताया है। उन्होंने पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की उपस्थिति और समर्थन को शर्मनाक बताया है। वहीं, आनंद शर्मा को जवाब देते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि यह गठबंधन पार्टी नेतृत्व की मंजूरी से हुआ है। बता दें कि पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पूरी ताकत झोंक दी है।
कांग्रेस के नाराज नेताओं के समूह जी-23 के सदस्य आनंद शर्मा ने सोमवार को ट्वीट किया कि आईएसएफ और ऐसे अन्य दलों से साथ कांग्रेस का गठबंधन पार्टी की मूल विचारधारा, गांधीवाद और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है, जो कांग्रेस पार्टी की आत्मा है। इन मुद्दों को कांग्रेस कार्य समिति पर चर्चा होनी चाहिए थी।
वह यहीं नहीं रुके इसके बाद उन्होंने एक और ट्वीट किया। इसमें उन्होंने कहा कि सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस चयनात्मक नहीं हो सकती है। हमें हर सांप्रदायिकता के हर रूप से लड़ना है। पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की उपस्थिति और समर्थन शर्मनाक है, उन्हें अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए।
अधीर रंजन ने दिया जवाब
आनंद शर्मा की ओर से सवाल उठाए जाने के बाद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हम एक राज्य के प्रभारी हैं और कोई भी फैसला बिना अनुमति के नहीं करते हैं। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक आईएसएफ ने माल्दा और मुर्शिदाबाद में कुछ सीटों की मांग की है, जिन पर पार्टी ने 2016 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी।
फुरफुरा शरीफ दरगाह के सिद्दीकी का समर्थन पहले टीएमसी को हासिल था। लेकिन इस बार अब्बास सिद्दीकी ने अपना राजनीतिक मोर्चा बना लिया। पश्चिम बंगाल में कई सीटों पर फुरफुरा शरीफ का बेहद प्रभाव माना जाता है। कांग्रेस पार्टी अब्बास सिद्दीकी के सहारे मुस्लिम वोटों को अपने खेमे में करना चाहती है।
विस्तार
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 92 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े करेगी। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सोमवार को घोषणा की कि वाम दलों के साथ अब तक हुई चर्चा में सीटों की साझेदारी पर यह सहमति बनी है। इन सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों की सूची दो दिन में जारी कर दी जाएगी। बता दें पश्चिम बंगाल में विधानसभा की 294 सीटें हैं। इन पर 27 मार्च से आठ चरणों में मतदान होगा।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने रविवार को दावा किया था कि वाम-कांग्रेस और अन्य धर्मनिरपेक्ष ताकतों का महागठबंधन पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दोनों को हराएगा। कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में आयोजित कांग्रेस-वाम दलों की संयुक्त रैली को संबोधित करते हुए चौधरी ने कहा कि बड़ी संख्या में लोगों के एकत्रित होने से साबित होता है कि आगामी चुनाव दो-कोणीय नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि भाजपा और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस चाहती हैं कि इन दोनों दलों के अलावा राज्य में कोई अन्य राजनीतिक ताकत मौजूद न हो, जो उनके रास्ते में आए। उन्होंने कहा कि भविष्य में भाजपा या तृणमूल कांग्रेस कोई नहीं होगा, केवल महागठबंधन रहेगा।
कांग्रेस में कलह भी शुरू
इधर, अधीर रंजन के इस एलान से पहले देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के भीतर कलह फिर शुरू हो गई। इसके पीछे की वजह यह है कि वाम दलों के साथ चुनाव लड़ रही कांग्रेस ने अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) से भी गठबंधन किया है। इसे लेकर अब राज्यसभा में पार्टी के उपनेता ने इसे कांग्रेस की मूल विचारधारा के खिलाफ बताया है। उन्होंने पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की उपस्थिति और समर्थन को शर्मनाक बताया है। वहीं, आनंद शर्मा को जवाब देते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि यह गठबंधन पार्टी नेतृत्व की मंजूरी से हुआ है। बता दें कि पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पूरी ताकत झोंक दी है।
कांग्रेस के नाराज नेताओं के समूह जी-23 के सदस्य आनंद शर्मा ने सोमवार को ट्वीट किया कि आईएसएफ और ऐसे अन्य दलों से साथ कांग्रेस का गठबंधन पार्टी की मूल विचारधारा, गांधीवाद और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है, जो कांग्रेस पार्टी की आत्मा है। इन मुद्दों को कांग्रेस कार्य समिति पर चर्चा होनी चाहिए थी।
वह यहीं नहीं रुके इसके बाद उन्होंने एक और ट्वीट किया। इसमें उन्होंने कहा कि सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस चयनात्मक नहीं हो सकती है। हमें हर सांप्रदायिकता के हर रूप से लड़ना है। पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की उपस्थिति और समर्थन शर्मनाक है, उन्हें अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए।
अधीर रंजन ने दिया जवाब
आनंद शर्मा की ओर से सवाल उठाए जाने के बाद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हम एक राज्य के प्रभारी हैं और कोई भी फैसला बिना अनुमति के नहीं करते हैं। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक आईएसएफ ने माल्दा और मुर्शिदाबाद में कुछ सीटों की मांग की है, जिन पर पार्टी ने 2016 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी।
फुरफुरा शरीफ दरगाह के सिद्दीकी का समर्थन पहले टीएमसी को हासिल था। लेकिन इस बार अब्बास सिद्दीकी ने अपना राजनीतिक मोर्चा बना लिया। पश्चिम बंगाल में कई सीटों पर फुरफुरा शरीफ का बेहद प्रभाव माना जाता है। कांग्रेस पार्टी अब्बास सिद्दीकी के सहारे मुस्लिम वोटों को अपने खेमे में करना चाहती है।