विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रति दृष्टिकोण वैश्विक बदलावों का प्रभावी ढंग से जवाब देने पर केंद्रित था। उन्होंने कहा कि दिवंगत पीएम वाजपेयी ने आपसी हितों के आधार पर चीन के साथ संबंध बनाए। इसके अलावा, पाकिस्तान को आतंकवाद प्रायोजित करने के काम से हटाने की पूरी कोशिश की। एस जयशंकर ने शुक्रवार को दूसरे अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति व्याख्यान में बोल रहे थे।
आपसी सम्मान के आधार पर चीन से बनाया रिश्ता
व्याख्यान में अपने उद्घाटन भाषण में जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ अटल बिहारी वाजपेयी ने एक ऐसे रास्ते पर चलने की कोशिश की, जो आपसी सम्मान के साथ-साथ आपसी हितों पर आधारित हो। ऐसा उन्होंने विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री रहते हुए किया। पाकिस्तान को उन्होंने सीमा पार आतंकवाद प्रायोजित करने के उसके रास्ते से हटाने की कोशिश की। यह सब उनके इस विश्वास पर टिका था कि भारत को अपने घर में किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए। उनकी अगुवाई में देश ने परमाणु विकल्प को पेश किया और आर्थिक आधुनिकीकरण भी किया।
विदेश मंत्री ने कहा कि स्मृति व्याख्यान का उद्देश्य विदेश नीति में वाजपेयी के योगदान को याद करना है। जयशंकर ने एक सांसद, विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में दिवंगत नेता के योगदान को याद किया। मंत्री ने अपने वर्चुअल संबोधन में कहा कि बहुत कुछ है जो उस संबंध में विशिष्ट नीतियों और विशेष घटनाओं के संदर्भ में संबंधित हो सकता है। लेकिन अगर हम अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए उनके दृष्टिकोण के सार को देखें तो यह स्पष्ट है कि ये वैश्विक परिवर्तनों के लिए प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया करने पर केंद्रित है।
अमेरिका का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि वाजपेयी ने नीतिगत सुधार पेश किए थे जो शीत युद्ध के अंत और नए वैश्विक संतुलन को दर्शाते हैं। साथ ही उन्होंने उस दौर की उथल-पुथल के बावजूद रूस के साथ भारत के पक्ष को स्थिर रखा। यह रेखांकित करते हुए कि वर्तमान में हिंद-प्रशांत में सबसे अधिक बदलाव देखे जा रहे हैं, जयशंकर ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा प्रेरित राजनयिक रचनात्मकता को और अधिक मजबूती से लागू किया जाना चाहिए।
विस्तार
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रति दृष्टिकोण वैश्विक बदलावों का प्रभावी ढंग से जवाब देने पर केंद्रित था। उन्होंने कहा कि दिवंगत पीएम वाजपेयी ने आपसी हितों के आधार पर चीन के साथ संबंध बनाए। इसके अलावा, पाकिस्तान को आतंकवाद प्रायोजित करने के काम से हटाने की पूरी कोशिश की। एस जयशंकर ने शुक्रवार को दूसरे अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति व्याख्यान में बोल रहे थे।
आपसी सम्मान के आधार पर चीन से बनाया रिश्ता
व्याख्यान में अपने उद्घाटन भाषण में जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ अटल बिहारी वाजपेयी ने एक ऐसे रास्ते पर चलने की कोशिश की, जो आपसी सम्मान के साथ-साथ आपसी हितों पर आधारित हो। ऐसा उन्होंने विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री रहते हुए किया। पाकिस्तान को उन्होंने सीमा पार आतंकवाद प्रायोजित करने के उसके रास्ते से हटाने की कोशिश की। यह सब उनके इस विश्वास पर टिका था कि भारत को अपने घर में किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए। उनकी अगुवाई में देश ने परमाणु विकल्प को पेश किया और आर्थिक आधुनिकीकरण भी किया।
विदेश मंत्री ने कहा कि स्मृति व्याख्यान का उद्देश्य विदेश नीति में वाजपेयी के योगदान को याद करना है। जयशंकर ने एक सांसद, विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में दिवंगत नेता के योगदान को याद किया। मंत्री ने अपने वर्चुअल संबोधन में कहा कि बहुत कुछ है जो उस संबंध में विशिष्ट नीतियों और विशेष घटनाओं के संदर्भ में संबंधित हो सकता है। लेकिन अगर हम अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए उनके दृष्टिकोण के सार को देखें तो यह स्पष्ट है कि ये वैश्विक परिवर्तनों के लिए प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया करने पर केंद्रित है।
अमेरिका का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि वाजपेयी ने नीतिगत सुधार पेश किए थे जो शीत युद्ध के अंत और नए वैश्विक संतुलन को दर्शाते हैं। साथ ही उन्होंने उस दौर की उथल-पुथल के बावजूद रूस के साथ भारत के पक्ष को स्थिर रखा। यह रेखांकित करते हुए कि वर्तमान में हिंद-प्रशांत में सबसे अधिक बदलाव देखे जा रहे हैं, जयशंकर ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा प्रेरित राजनयिक रचनात्मकता को और अधिक मजबूती से लागू किया जाना चाहिए।