लोकप्रिय और ट्रेंडिंग टॉपिक्स

विज्ञापन
Hindi News ›   Uttar Pradesh ›   UP Politics: Is Swami Prasad Maurya taking forward the agenda of BSP in Samajwadi party

UP Politics: कहीं सपा में BSP का एजेंडा तो आगे नहीं बढ़ा रहे स्वामी प्रसाद मौर्य? चुनाव में किसका नफा-नुकसान

Ashish Tiwari आशीष तिवारी
Updated Tue, 07 Feb 2023 03:22 PM IST
सार

UP Politics: समाजवादी पार्टी इस वक्त सियासत में अपने नए कलेवर को लेकर दो तरह से आगे बढ़ रही है। एक वह है जिसमें समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस की चौपाई पर विवादित बयान देकर पार्टी को एक नए रास्ते की बढ़ा दिया। दूसरा खुद समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की जातिगत जनगणना वाले मुद्दे के साथ आगे बढ़ने वाला सियासी दांव है...

UP Politics- Swami Prasad Maurya
UP Politics- Swami Prasad Maurya - फोटो : Agency (File Photo)

विस्तार

रामचरितमानस की जिस चौपाई पर विवादित बयान देकर स्वामी प्रसाद मौर्य ने सियासी पारे को गर्म कर दिया दरअसल उसी चौपाई को कभी बसपा भी सियासत में आगे रखती थी। सियासी जानकारों का मानना है कि बसपा के उसी एजेंडे को अब स्वामी प्रसाद मौर्य समाजवादी पार्टी के प्लेटफार्म से न सिर्फ आगे बढ़ा रहे हैं, बल्कि जातिगत समीकरणों के नए वोट बैंक की एक नई परिभाषा सपा के लिए गांठ रहे हैं। समाजवादी पार्टी की इस नई वोट की परिभाषा से सपा के ब्राह्मण नेता न सिर्फ असहज महसूस कर रहे हैं, बल्कि इसे भविष्य की राजनीति के लिहाज से मुफीद नहीं मान रहे हैं। सियासी जानकार भी समाजवादी पार्टी के इसमें समीकरण को अपने नए नजरिए से देख रहे हैं।

बसपा का पैंतीस साल पुराना मुद्दा!

समाजवादी पार्टी इस वक्त सियासत में अपने नए कलेवर को लेकर दो तरह से आगे बढ़ रही है। एक वह है जिसमें समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस की चौपाई पर विवादित बयान देकर पार्टी को एक नए रास्ते की बढ़ा दिया। दूसरा खुद समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की जातिगत जनगणना वाले मुद्दे के साथ आगे बढ़ने वाला सियासी दांव है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बसपा से लेकर भाजपा तक का चक्कर लगाने के बाद समाजवादी पार्टी में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने जिस तरीके से रामचरितमानस की चौपाई को लेकर विवादित बयान दिया है। दरअसल वह तो बसपा का पैंतीस साल पुराना मुद्दा है।

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक बृजेश शुक्ला कहते हैं कि 1986-87 में जब बसपा को स्थापित करने का दौर था, तो काशीराम समेत तमाम बसपा के कैडर से जुड़े हुए लोग और कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश के गांव-गांव में रामचरितमानस की इसी चौपाई को लेकर अपने संगठन को मजबूत करने की अभियान चलाते थे। वह कहते हैं कि बसपा ने इसे लंबे समय तक न सिर्फ मुद्दा बनाया बल्कि जातिगत समीकरणों के आधार पर अपना वोट बैंक भी जोड़ा।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

क्षमा करें यह सर्विस उपलब्ध नहीं है कृपया किसी और माध्यम से लॉगिन करने की कोशिश करें

;

Followed

;